नई दिल्ली: लैंगिक भेदभाव और असमानता दूर करने की दिशा में टाटा स्टील ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है. टाटा स्टील अब समलैंगिक कर्मचारियों को अपने अन्य कर्मचारियों के बराबर का दर्जा देने जा रही है. उसके लिए ह्यूमन रिसोर्स (एचआर) पॉलिसी में बदलाव कर डायवरिस्टी एंड इन्कलूसन पॉलिसी के दायरे को बढ़ाया गया है. इसके तहत टाटा स्टील के समलैंगिक कर्मचारी अपने पार्टनर का नाम रजिस्टर में दर्ज करा सकेंगे और इस तरह उन्हें भी पति-पत्नी की तरह अन्य सुविधाएं मिलने लगेगी.


टाटा स्टील में एलजीबीटीक्यू समुदाय बराबर के कर्मचारी


टाटा स्टील ने सोमवार को बताया कि एलजीबीटीक्यू समुदाय के कर्मचारी अपने पार्टनर के बारे में बताकर कंपनी के अन्य लाभ ले सकते हैं. नई पॉलिसी के तहत समलैंगिक कर्मी या ट्रांसजेंडर कर्मी स्वास्थ्य चेक अप, मेडिकल सुविधा, एडॉप्शन लीव, नीव बोर्न पेरेंट और चाइल्ड केयर लीव की सुविधा मिलेगी. जो ट्रांसजेंडर कर्मचारी हैं, उनके लिए जेंडर रिअसाइनमेंट के तहत सर्जरी का मेडिकल खर्च और 30 दिन की स्पेशल लीव का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही ट्रांसफर होने पर रीलोकेशन के खर्च की फैसिलिटी दी जाएगी. ट्रांसजेडरों के लिए टाटा एक्ज्यूक्विटिव होली डे प्लान का लाभ भी शामिल होगा. नये ट्रांसजेडर कर्मचारियों को हनीमून पैकेज, घरेलू यात्रा कवरेज की सुविधा मिलेगी.


कंपनी का कहना है कि उसका मकसद कर्मचारियों के लिए वर्ल्ड क्लास अवसर पैदा करना है. जहां हर किसी की आवाज सुनी जाए और हर किसी का मान बरकरार रखा जा सके. इसके अलावा नयी नीति को सभी कर्मचारियों के बीच बराबरी के योग्य बनाने की दिशा में पहल की गई है. कंपनी के कार्यक्रम में या कॉरपोरेट सफर में जहां मियां बीवी साथ शरीक हो सकते थे अब समलैंगिक कर्मचारी भी शामिल हो सकेंगे.


आपको बता दें कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए धारा 377 से उस प्रावधान को हटा दिया था जिसमें समैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया था.