Tax Evasion: टैक्स चोरी कर रही थीं टीएमटी बार कंपनियां, पकड़ में आए 730 करोड़ के मामले
GST Evasion: टीएमटी कंपनियां फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर रही थीं और इस तरह सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लगा रही थीं...
टीएमटी बार बनाने वाली विभिन्न कंपनियां बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी कर रही थीं और उससे सरकारी खजाने को चपत लग रही थी. टैक्स डिपार्टमेंट को अब तक 730 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगा है, जिसमें टीएमटी बार बनाने वाली कई कंपनियां शामिल हैं.
200 करोड़ रुपये किए गए रिकवर
ईटी की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि डीजीजीआई को 730 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता चला है. टीएमटी बार बनाने वाली कंपनियां फेक इनवॉयस लगाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर रही थीं. डाइरेक्टर जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) ने इसे लेकर पिछले सप्ताह आठ टीएमटी कंपनियों को नोटिस भेजा है. कंपनियों से करीब 200 करोड़ रुपये रिकवर भी किए जा चुके हैं.
8 टीएमटी कंपनियों को भेजे गए नोटिस
बताया जा रहा है कि टीएमटी बार मैन्युफैक्चर करने वाली कुछ कंपनियां न तो इन्वेंटरी डिक्लेयर कर रही थीं और न ही जीएसटी का भुगतान कर रही थीं, लेकिन माल की आपूर्ति की जा रही थी. इस तरह उन्होंने करीब 730 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी की, जिसके संबंध में 8 टीएमटी कंपनियों को नोटिस भेजा गया है.
फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने का मामला
इस बारे में डीजीजीआई की मेरठ यूनिट को खुफिया जानकारी मिली थी. डीजीजीआई को बताया गया था कि कई टीएमटी बार कंपनियां ऐसी कंपनियों के नाम पर डॉक्यूमेंट फाइल कर रही हैं, जिनका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं है. इस तरह नॉन एक्जिस्टेंट कंपनियों के नाम पर फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर टीएमटी बार कंपनियों के द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर लिया जा रहा था.
मेरठ और मुजफ्फरनगर में तलाशी
जानकारी मिलने के बाद डीजीजीआई ने टीएमटी कंपनियों की जांच की, जिसमें करोड़ों की टैक्स चोरी का पता चला. इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर में स्थित कई मैन्युफैक्चरर और डीलर के यहां तलाशी ली गई. उसके बाद 800 करोड़ रुपये के माल सीज किए गए.
इस तरीके से हो रही थी टैक्स चोरी
बताया जा रहा है कि ऐसे मामलों में कंपनियां प्रति पीस की जगह पर प्रति टन के हिसाब से ऑर्डर ले रही थीं और ट्रांसपोर्टेशन का काम आउटसोर्स कर देती थीं. फिलहाल माना जा रहा है कि इस तरीके से दिल्ली व आस-पास में ही टैक्स चोरी हो रही थी. हालांकि टैक्स डिपार्टमेंट देश के बाकी हिस्सों में भी जांच कर रहा है.
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