बदलते समय के साथ लोगों का निवेश का तरीका बदला है. लोग अब ज्यादा रिटर्न पाने के लिए शेयर बाजार का रुख कर रहे हैं. बढ़ी जागरुकता का ही असर है कि लोग अब गिफ्ट में अपने प्रिय जनों को शेयर भी देने लग गए हैं. संभव है कि आपने भी अपने पार्टनर या परिवार के किसी सदस्य को गिफ्ट में शेयर दिया हो, या फिर ऐसा करने की तैयारी कर रहे हों. तो आइए जानते हैं कि गिफ्ट में शेयर देने के मामले में टैक्स के नियम किस तरह से लागू होते हैं...


50 हजार तक के गिफ्ट पर टैक्स नहीं


आयकर कानून के मुताबिक, एक वित्त वर्ष यानी फाइनेंशियल ईयर में 50 हजार रुपये तक के गिफ्ट पर टैक्स से छूट है. आसान शब्दों में कहें तो एक साल के भीतर मिले सारे गिफ्ट की कुल कीमत 50 हजार से कम है तो टैक्स नहीं लगेगा. 50 हजार रुपये से ज्यादा के गिफ्ट मिलने पर तोहफों की कुल रकम पर टैक्स भरना होगा. जिसे गिफ्ट मिलता है टैक्स उसे भरना होता है. गिफ्ट के तौर पर पैसे, प्रॉपर्टी, गाड़ी, ज्वैलरी या शेयर समेत दूसरी चल-अचल संपत्ति दी जा सकती है.


इन लोगों को गिफ्ट है टैक्सफ्री


तोहफे पर टैक्स इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसे कौन दे रहा है. आयकर कानून के तहत 'रिलेटिव' की कैटेगरी में आने वालों लोगों से मिले गिफ्ट पर कोई टैक्स नहीं है, चाहे गिफ्ट की कीमत कुछ भी हो. पति-पत्नी रिलेटिव के दायरे में आते हैं. इसका मतलब है कि अगर आप अपने पार्टनर को शेयर गिफ्ट करते हैं तो उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. पत्नी के अलावा भाई-बहन, माता-पिता, पत्नी के माता-पिता समेत अन्य लोग भी 'रिश्तेदार' की श्रेणी में हैं. वसीयत या विरासत में मिली संपत्ति पर भी टैक्स नहीं है.


इन मामलों में देने पड़ेंगे टैक्स


इसका मतलब हुआ कि परिवार के सदस्यों को शेयर गिफ्ट करने पर टैक्स नहीं लगेगा. हालांकि कुछ मामलों में यहां भी टैक्स लगेगा. जैसे आपने जिन्हें गिफ्ट दिया, वे अगर शेयर को बेचते हैं या डिविडेंड से उन्हें कमाई होती है तो जरूर टैक्स लगेगा. चूंकि ये शेयर आपने खरीदकर किसी को दिए हैं, इसलिए आयकर कानून की धारा 64 के तहत क्लबिंग प्रावधान लागू होंगे.


इस तरह से होगा कैलकुलेशन


टैक्स होल्डिंग पीरियड के हिसाब से लगेगा. अगर लिस्टेड शेयर को खरीद तारीख से 12 महीने से कम रखकर बेचा गया है तो मुनाफे पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) देना पड़ेगा. 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. एक लाख रुपये से ज्यादा के मुनाफा पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. दोनों मामलों में सेस और सरचार्ज भी देना होगा.


अनलिस्टेड शेयर के मामले में 24 महीने से कम में बेचने पर मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन, जबकि 24 महीने रखकर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. शॉर्ट टर्म के मामले में स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगता है जबकि लॉन्ग टर्म गेन की सूरत में इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी की दर से टैक्स देना पड़ेगा.


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