Income from Residential Property: आवासीय संपत्ति से भी हुई है कमाई, जाने कैसे लगेगा इस मामले में इनकम टैक्स?
Tax on Property Income: घर रहने और निवेश दोनों के लिहाज से मुफीद माना जाता है. यह किराये के रूप में नियमित आय का स्रोत तैयार करा सकता है. हालांकि इनके ऊपर टैक्स की देनदारियां भी बनती हैं...
बहुत सारे लोग इन्वेस्टमेंट के लिए रियल एस्टेट का रुख करते हैं. रियल एस्टेट में भी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी घर को पसंद करने वाले काफी लोग हैं. इस तरह के निवेश के अमूमन दो फायदे होते हैं. एक तो ये कि किराये के रूप में नियमित आय का उपाय बन जाता है, और दूसरा कि समय के साथ प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ती है और इस तरह से शानदार रिटर्न मिल जाता है.
टैक्स फ्री नहीं है घर से हुई कमाई
हालांकि अन्य कमाइयों की तरह यह भी टैक्स फ्री नहीं है. अगर आप घर से कमाई कर रहे हैं तो आपकी टैक्स की देनदारी बन रही है. आपकी कमाई चाहे किराये से हो रही हो या कुछ समय बाद प्रॉपर्टी को बेचने से, दोनों तरह के मामलों में टैक्स की देनदारी बनती है. बस दोनों तरह के मामलों में टैक्स की देनदारी का तरीका अलग रहता है. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.
बेचने से हुई कमाई पर टैक्स
सबसे पहले कुछ समय बाद बेचने से होने वाली कमाई की बात करते हैं. मकान बेचने से होने वाले मुनाफे यानी कैपिटल गेन पर दो तरह से टैक्स लगता है. अगर मकान 2 साल या उससे ज्यादा अपने पास रखने के बाद बेचा जाता है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. कैपिटेल गेन की रकम पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20 फीसदी का टैक्स लगेगा. वहीं, 24 महीने से पहले मकान बेचने से हुए लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. यह मुनाफा व्यक्ति की रेगुलर इनकम में जुड़ जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से कर देना पड़ेगा.
कैसे बचा सकते हैं टैक्स का पैसा
कुछ मामलों में यहां टैक्स को बचाया भी जा सकता है. आयकर कानून की धारा 54, पुराना घर बेचकर उससे होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन से दूसरा घर खरीदने पर टैक्स से राहत देती है. यह बेनिफिट सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की स्थिति में मिलता है. आयकर कानून मानता है कि ऐसे मामलों में विक्रेता का उद्देश्य घर बेचकर कमाई करना नहीं, बल्कि खुद के लिए उचित आशियाना ढूंढना है.
किस तरह की प्रॉपर्टी खरीदने पर मिलेगी टैक्स छूट?
आयकर अधिनियम की धारा 54 में स्पष्ट है कि कैपिटेल गेन का इस्तेमाल सिर्फ रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने या बनाने के लिए किया जाना चाहिए. यानी कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदने पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी. जमीन के मामले में, भूखंड खरीदकर मकान बनवाने पर कैपिटेल गैन टैक्स के बराबर रकम पर छूट का दावा किया जा सकता है. सिर्फ जमीन खरीदने पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी. वित्त वर्ष 2023-24 से 10 करोड़ रुपए तक के कैपिटल गेन पर ही रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में निवेश करके टैक्स छूट ली जा सकती है. इससे ज्यादा के मुनाफे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.
कब तक खरीदनी होगी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी?
सेक्शन 54 के तहत, टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए पुरानी प्रॉपर्टी ट्रांसफर होने की तारीख से 2 साल के अंदर नया मकान खरीदना होता है. वहीं, निर्माण की स्थिति में घर तीन साल के अंदर बन जाना चाहिए. अगर आप नया घर पुरानी प्रॉपर्टी बेचने से एक साल पहले भी खरीदते हैं तो छूट का लाभ उठा सकते हैं.
किराये की कमाई पर टैक्स देनदारी
वहीं अगर आपकी कमाई किराये के रूप में हो रही है तो उसे आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होगा. इसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में दिखा सकते हैं. इस कमाई को आपकी अन्य कमाई में जोड़ दिया जाएगा और उसके बाद जो टैक्स स्लैब बनेगा, उसके हिसाब से आपको टैक्स देना होगा. इस तरह की कमाई को टैक्सपेयर ईमानदारी से नहीं दिखाते हैं, यही कारण है कि एक सीमा से ज्यादा किराया होने पर पैन कार्ड जरूरी किया गया है.
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