Tax Planning: बढ़े वेतन पर चार तरीके से बचा सकते हैं टैक्स, टेक होम सैलरी पर पड़ता है असर
Tax Planning: अगर आपकी ताजा ताजा सैलरी बढ़ी है या फिर बढ़ने वाली है तो इन तरीकों को अपना कर आसानी से बचा सकते हैं आप टैक्स. यही नहीं आपको सरकार को ज्यादा टैक्स देने से भी राहत मिल जाएगी.
Tax Planning: टैक्स के जानकारों का कहना है कि बढ़ोतरी के बाद अपने सकल वेतन (Gross Salary) में से एचआरए (HRS), यात्रा भत्ता (LTS), मेडिकल (Medical) रिइंबर्समेंट को घटाएं. आयकर कानून में 80सी और 80डी जैसी विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट को भी हटा देना चाहिए. इसके बाद ग्रॉस सैलरी में से जो राशि बचती है, उस पर स्लैब के अनुसार व्यक्ति को टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.
अप्रैल-मई जैसे महीनों में तमाम कंपनियों में इन्क्रीमेंट (Salary Hike) का दौर चल रहा है. कंपनियां प्रदर्शन और कौशल के हिसाब से कर्मचारियों (Employee) का वेतन बढ़ा रही हैं. जब-जब वेतन बढ़ता है, कर योग्य आय भी बढ़ती है. इसका असर आपकी टेक होम सैलरी पर पड़ता है. हालांकि, आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध कटौतियों का लाभ उठाकर आप अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं.
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न टैक्स बचत योजनाओं में निवेश पर आप कर बचा सकते हैं. आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख तक छूट ले सकते है.
कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं-
टैक्स सेविंग म्यूचुचल फंड : महंगाई से ज्यादा रिटर्न
इसमें निवेश करने पर इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट मिलती है. इस म्यूचुअल फंड की लॉकइन अवधि 3 साल होती है यानी इससे पहले आप इस योजना से पैसे नहीं निकाल सकते हैं. इसमें निवेश न सिर्फ टैक्स बचाने का अच्छा साधन है बल्कि महंगाई से ज्यादा रिटर्न पाने का सबसे अच्छा तरीका भी है.
PPF : निवेश पर सरकार की गारंटी रहती है
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश पर कोई जोखिम नहीं रहता है. इसमें निवेश पर सरकार की गारंटी रहती है. इसकी लॉकइन अवधि पंद्रह साल होती है. निवेश पर वर्तमान में 7.1 फीसदी फायदा मिलता है, जो महंगाई के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है. पीपीएफ में सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं, जिस पर 80C के तहत छूट मिलती है.
टैक्स सेविंग FD: सबसे सुरक्षित निवेश
निवेश का यह विकल्प उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो पैसे की सुरक्षा के साथ कर बचत करना चाहते हैं. टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की लॉकइन अवधि 5 साल है, जिसमें निवेश पर आप 80सी के तहत कर छूट पा सकते हैं. हालांकि, इस पर मिलने वाला ब्याज ‘अन्य स्रोतों से प्राप्त आय’ कै तौर पर माना जाता है. इसलिए इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
NPS: अतिरिक्त छूट की सुविधा
रिटायरमेंट के लिए NPS स्वैच्छिक एवं दीर्घकालिक निवेश योजना है. राष्ट्रीय पेंशन योजना की लॉकइन अवधि सेवानिवृत्ति तक जारी रहती है. इसमें निवेश पर 80CCD (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है. साथ ही 80CCD (1B) के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा के बाद अगर स्वैच्छिक 50,000 रुपये का अंशदान करते हैं तो अतिरिक्त कर छूट भी मिल सकती है.
ये भी पढ़ें
Doctor Salary: अगर आप डॉक्टर हैं तो कितनी होनी चाहिए आपकी सैलरी, सर्वे के मुताबिक जानें
इन छूटों का करें इस्तेमाल
कर संबंधी निवेश वैसे तो जरूरी नहीं है. यह पूरी तरह करदाता की मर्जी पर निर्भर है. आयकर कानून की हर धारा के तहत छूट की सीमा होती है. अगर पूरी सीमा का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आपको अधिक टैक्स चुकाना होगा. इसलिए अपनी कमाई पर टैक्स बचाने के लिए आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट का पूरा इस्तेमाल करना बेहतर और फायदेमंद होता है.