Income Tax Return: फर्जी जानकारियां देकर हासिल किया टैक्स रिफंड! बढ़ सकती है ऐसे टैक्सपेयर्स की मुश्किलें
Income Tax Refund: इनकम टैक्स विभाग एसेसमेंट ईयर 2024-25 के दौरान हाई -रिस्क रिफंड क्लेम का वेरिफिकेशन शुरू करने जा रही है.
Income Tax Return: क्या आपने फर्जी हाउस रेंट अलाउंस, बोगस डोनेशन, खर्चों को बढ़ाकर दिखाते हुए गलत इनकम की जानकारी देकर इनकम टैक्स विभाग से टैक्स रिफंड हासिल किया है तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती है. क्योंकि टैक्स विभाग ऐसे मामलों की जांच करने की तैयारी में है. इनकम टैक्स विभाग वित्त वर्ष 2023-24 या एसेसमेंट ईयर 2024-25 के दौरान ऐसे हाई -रिस्क वाले रिफंड क्लेम की वेरिफिकेशन करने वाली है. इस वेरिफिकेशन का मकसद ये पता लगाना है कि संगठित तौर पर या किसी व्यक्ति की ओर से गलत जानकारी देकर टैक्स रिफंड (Tax Refund) तो हासिल नहीं किया गया है.
इनकम टैक्स विभाग इस बात का पता लगाएगी कि क्या एक ही कॉमन ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर फर्जी हाउस रेंट अलाउंस, बोगस डोनेशंस के जरिए 80जी के तहत डिडक्शन क्लेम तो नहीं किया गया है. या फिर खर्चों को बढ़ा चढ़ाकर तो नहीं दिखाया गया है. ऐसे इनकम टैक्स रिटर्न की टैक्स विभाग गहन जांच कर सकता है. डायरेक्टोरेट ऑफ इनकम टैक्स सिस्टम्स (Directorate Of IT Systems) जो वित्त मंत्रालय (Ministry Of Finance) के अधीन आता है उसने ऐसे हाई रिस्क इनकम टैक्स रिफंड (High Risk Income Tax Refund) मामलों के लिए एसओपी इंस्ट्रक्शंस जारी किए हैं जो एसेसिंग ऑफिसर्स, टीडीएस चार्ज ऑफिसर्स और इंवेस्टिगेशन विंग में अधिकारियों को उपलब्ध करा दिया गया है.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक इंवेस्टीगेशन विंग के अधिकारी को भेजे गए एसओपी में कहा गया है कि, पूर्व में टीडीएस क्रेडिट के गलत क्लेम कर, आय को कम दिखाकर, डिडक्शन को बढ़ाकर दिखाने और बोगस खर्चे दिखाकर गलत तरीके से रिफंड क्लेम किया गया है. ये मामला तब सामने आया है जब ये पाया गया कि एक ही कॉमन ईमेल आईडी या मोबाइल फोन नंबर का इस्तेमाल कर आयकर रिटर्न फाइल किया गया है. अब इसे सेंट्रल रिजिस्ट्री यूनिट्स के नोडल ऑफिसर्स को आगे की जांच के लिए फॉरवर्ड कर दिया गया है.
एसओपी में टैक्स अधिकारियों से इनसाइट पोर्टल, ई-फाइलिंग पोर्टल का इस्तेमाल कर उस व्यक्ति का पता लगाने के लिए कहा गया है जो कॉमन ईमेल आईडी और मोबाइल फोन नंबर से जुड़ा है. ऐसे टैक्सपेयर्स को नोटिस जारी कर टैक्स छूट, डिडक्शन, और खर्चों से जुड़ी जानकारियों को डॉक्यूमेंट के साथ वेरिफाई करने के लिए कहा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस कवायद का मकसद टैक्सपेयर्स को प्रताड़ित करना नहीं है. अगर क्लेम सही है तो मामले को बंद कर दिया जाएगा. और गलत जानकारियां देकर रिफंड हासिल किया गया है जो एसओपी के मुताबिक मामले की आगे जांच की जाएगी.
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