फाइनेंशियल ईयर 2023-24 खत्म होने में गिने-चुने दिन बचे हुए हैं. टैक्स बचाने के लिए कई लोग लास्ट-मिनट इन्वेस्टमेंट के लिए दौड़ रहे हैं. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ टैक्स बचाने वाले अच्छे विकल्पों में से हैं. आइए जानते हैं आपके लिए दोनों में क्या बेहतर है...
इनमें निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत डेढ़ लाख रुपये तक का डिडक्शन है. डिडक्शन की रकम को आपकी कुल कमाई से घटा दिया जाता है. इससे टैक्स देनदारी भी कम हो जाती है. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम इक्विटी म्यूचुअल फंड्स हैं, जो अपनी एसेट का कम से कम 80 फीसदी इक्विटी और इक्विटी-रिलेडेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जबकि पब्लिक प्रोविडेंट फंड लंबी अवधि की सरकारी छोटी बचत योजना है.
रिस्क और रिटर्न का गणित
पीपीएफ सबसे ज्यादा सुरक्षित टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट ऑप्शंस में से एक माना जाता है. इसके उलट ईएलएसएस फंड में रिस्क रहता है क्योंकि ये फंड आपके पैसों को मुख्य रूप से शेयर मार्केट में लगाते हैं. शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव की आशंका ज्यादा होती है. पीपीएफ में ब्याज दर पूरे टेन्योर में फिक्स नहीं रहती है, लेकिन गारंटीड रहती है. अभी 7.1 फीसदी का ब्याज मिल रहा है.
ईएलएसएस फंड के रिटर्न बेहतर
दूसरी ओर ELSS फंड का रिटर्न उसके पोर्टफोलियो में शामिल एसेट क्लास के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. इक्विटी ओरिएन्टेड स्कीम होने के नाते ELSS लंबी अवधि में फिक्स्ड इनकम वाली स्कीम्स जैसे PPF, FD से ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखता है. म्यूचुअल फंड कंपनियों के संगठन एम्फी के मुताबिक, चुनिंदा ELSS फंड्स ने पिछले 5 साल में बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा का रिटर्न दिया है. इनमें Quant ELSS Tax Saver Fund, SBI Long Term Equity Fund और DSP ELSS Tax Saver Fund शामिल हैं, जिनका रिटर्न 20 से 30 फीसदी तक है.
टैक्स के फायदों में पीपीएफ आगे
ELSS और PPF में निवेश पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन मिलता है. सेक्शन 80C के तहत एक वित्त वर्ष में अधिकतम डिडक्शन की लिमिट डेढ़ लाख रुपये है. रिटर्न पर टैक्स के मामले में PPF यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड ELSS से बाजी मारता है. इसमें निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलना वाला पैसा यानी रिटर्न तीनों टैक्स-फ्री हैं. ELSS के केस में निवेश से मुनाफे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी LTCG टैक्स देना होता है.
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