TCS Hiring: देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में इस समय लगभग 80 हजार पोस्ट खाली हैं. कंपनी इन पदों को भरना चाहती है. मगर, तमाम कोशिशों के बावजूद वह इन पदों पर नियुक्ति करने में असफल रही है. टीसीएस का कहना है कि वह स्किल गैप के चलते इन पदों को भर नहीं पा रही है. वह इन पदों पर जिस क्षमता के युवाओं को नौकरी देना चाहती है वह उसे मिल नहीं पा रहे हैं.
प्रोजेक्ट की जरूरतों के हिसाब से स्किल सेट मैच नहीं कर रहे
टीसीएस रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) के ग्लोबल ऑपरेशंस हेड अमर शेट्या ने हालिया टाउनहॉल में खुलासा किया कि कंपनी को 80000 इंजीनियर की जरूरत है. मगर, योग्य व्यक्तियों की कमी के चलते यह पद खाली पड़े हैं. कंपनी कॉन्ट्रैक्टर्स के जरिए इस गैप को भरने में जुटी हुई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस टाउनहॉल में शामिल हुए एक कर्मचारी ने बताया कि कंपनी का कहना है कि प्रोजेक्ट की जरूरतों के हिसाब से एम्प्लॉयीज के स्किल सेट मैच नहीं कर रहे हैं. हालांकि, इस रिपोर्ट पर टीसीएस ने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
फ्रेशर्स की ज्वॉइनिंग को टाल रहीं सभी बड़ी कंपनियां
देश की बड़ी आईटी कंपनियां इस समय लगभग 10 हजार फ्रेशर्स को नौकरी देने में देरी कर रही हैं. इनमें टीसीएस भी शामिल है. इन फ्रेशर्स की ज्वॉइनिंग डेट अभी तक कंफर्म नहीं की गई है. टीसीएस, इंफोसिस (Infosys), विप्रो (Wipro), जेंसर (Zensar) और एलटीआई माइंड ट्री (LTIMindtree) में नौकरी हासिल कर चुके फ्रेशर्स इस बारे में शिकायतें कर रहे हैं. इंफोसिस ने फ्रेशर्स को एक ईमेल के जरिए सूचित किया है कि उनकी ज्वॉइनिंग डेट बिजनेस की जरूरतों के हिसाब से तय की जाएगी. जरूरत पड़ने पर ज्वॉइनिंग को लेकर उन्हें 3 से 4 हफ्ते पहले सूचित कर दिया जाएगा. इंफोसिस ने एक साल पहले लगभग 50 हजार लोगों को नौकरी दी थी. मगर, इस बार उन्होंने सिर्फ 11,900 लोगों को ही कैंपस से चुना है.
टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस के कर्मचारियों की संख्या घटी
अप्रैल में जेंसर ने कैंपस से चुने गए लोगों को ज्वॉइनिंग से पहले एक टेस्ट देने की मांग की थी. कंपनियों का कहना है कि नॉर्थ अमेरिका और यूरोप के क्लाइंट आईटी खर्च को लेकर सतर्क हैं. इसके चलते आईटी सेक्टर सुस्ती की चपेट में है. तिमाही नतीजों में भी इसका असर दिखाई दिया है. मार्च तिमाही के अंत में टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस के कर्मचारियों की संख्या में लगभग 64 हजार की गिरावट आई है.
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