टीडीएस (TDS) यानी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स-टीडीएस का मतलब है स्त्रोत पर ही टैक्स काटना. टीडीएस तमाम तरह के आय स्त्रोतों पर काटा जाता है, जैसे-वेतन, किसी इनवेस्टमेंट पर मिले इंटरेस्ट या कमीशन वगैरह पर. टीडीएस हर लेन-देन पर लागू नहीं होता है. आयकर विभाग अलग-अलग लेन-देन पर अलग-अलग रेट से टीडीएस लगता है. जैसे पीएफ के जिस हिस्से पर टैक्स लगता है उसमें दस फीसदी. डिविडेंड पर दस फीसदी. इंश्योरेंस पर पांच फीसदी. लॉटरी पर 30 फीसदी.
अगर आप भारतीय नागरिक हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो इस पर होने वाली आय पर टीडीएस नहीं चुकाना होगा लेकिन अगर आप एनआरआई हैं ओर इस फंड से होने वाली आय पर आपको टैक्स देना होगा.
फॉर्म 26AS में होता है टीडीएस का जिक्र
फॉर्म 26AS में टीडीएस का जिक्र होता है. हर डिडक्टर को टीडीएस सर्टफिकेट जारी करके यह बताना भी जरूरी है कि उसने कितना टीडीएस काटा और सरकार को जमा किया. इसलिए 26AS में यह देखना होगा कि कहीं आपके टैक्स लाइबिलिटी से ज्यादा टीडीएस तो नहीं काटा गया. अगर ज्यादा काटा गया है तो इसे आईटीआर फाइल करते समय क्लेम करना होगा.
एफडी पर 10 हजार से कम ब्याज पर नहीं कटता टीडीएस
एक निश्चित स्तर से ज्यादा पेमेंट पर पर ही टीडीएस कटता है. अगर निश्चित रकम से ज्यादा का पेमेंट नहीं है तो टीडीएस नहीं कटता है. विभिन्न तरह की आय सीमा पर टीडीएस कटता है आयकर विभाग ने सैलरी, ब्याज आदि पर टीडीएस काटने के कुछ नियम तय किए हैं जैसे कि एक साल में एफडी से अगर 10 हजार से कम ब्याज मिलता है तो आपको उसपर टीडीएस नहीं चुकाना पड़ेगा.
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