ट्राई ने टेलीकॉम ऑपरेटरों से अपने एसएमस चेकिंग फिल्टर को री-एक्टिवेट करने को कहा है ताकि लोगों को फर्जी एसएमएस से बचाया जा सके. अगर टेलीकॉम ऑपरेटरों ने यह काम नहीं किया तो 1 अप्रैल से डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों को ओटीपी हासिल करने में फिर दिक्कत आ सकती है. दूसरी ओर टेलीकॉम ऑपरेटरों का मानना है कि ट्राई ने इस पर सख्ती दिखाई तो 1 अप्रैल से फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन और ई-कॉमर्स में काफी दिक्कत आ सकती है. पिछली बार मोबाइल यूजर्स इस तरह की दिक्कतों का सामना कर चुके थे. लोगों को ओटीपी मिलने में दिक्कत आ रही थी.अब एक बार फिर ऐसी स्थिति आ सकती है.

एसएमएस में स्क्रबिंग पॉलिसी लागू होने से आई दिक्कत

एसएमएस में स्क्रबिंग पॉलिसी लागू होने से इस महीने की शुरुआत में मोबाइल ट्रांजेक्शन में दिक्कतें आई थीं. इससे ई-कॉमर्स कंपनियों और बैंकों की ओर से ग्राहकों को ओटीपी नहीं भेजे जा सके थे. लिहाजा बड़ी तादाद में ट्रांजेक्शन नहीं हो पाया था. दरअसल यह दिक्कत ट्राई की ओर से एसएमएस से जुड़ी नई गाइडलाइंस लागू करने से आई. इसे स्क्रबिंग पॉलिसी कहते हैं, जिसमें हर एसएमएस कंटेंट को भेजने से पहले वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होता है. यह गाइडलाइंस लागू हो गई, इसकी वजह से गैर वेरिफाइड और गैर रजिस्टर्ड एसएमएस नहीं भेजे जा सके थे.
ओटीपी न मिलने से नहीं हो पा रहा फंड ट्रांसफर

नए एसएमएस रेगुलेशन लागू होने से बड़ी तादाद में ओटीपी नहीं भेजे जा सके. बैंकों के पास शिकायतों का अंबार लग गया. जिन ग्राहकों को फंड ट्रांसफर करना था उन्हें ओटीपी नहीं मिल पाया इस वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बैंकिंग सूत्रों का कहना था कि यह पॉलिसी ठीक से लागू नहीं गई इसलिए इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं. वहीं ट्राई का कहना है कि इंटरनेट फ्रॉड से बचाव के लिए यह पॉलिसी अपनाई गई है. दरअसल टेली मार्केटिंग कंपनियां ग्राहकों को भेजी गई ओटीपी को बगैर मंजूरी दिए बगैर भी उनकी मंजूरी हासिल करती रही हैं. इससे ग्राहकों से धोखाधड़ी बढ़ती जा रही थी. इसे ही रोकने के लिए एसएमएस वेरिफिकेशन की नीति अपनाई गई. लेकिन इसके ठीक से काम न करने की वजह से ट्रांजेक्शन में दिक्कत आ रही है.

टेलीकॉम कंपनियों ने कहा था कि उन्होंने विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों और बैंकों से कहा था कि वे कंटेंट कंटम्पलेट का रजिस्ट्रेशन 7 मार्च तक पूरा कर लें. लेकिन कंपनियों ने इसे पूरा नहीं किया था. इसलिए उनके ग्राहकों को ओटीपी नहीं भेजा जा सका था.

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