7-5-3-1 नियम में छिपा है इक्विटी में SIP के जरिए निवेश की सफलता का राज
Investment In Mutual Fund: फंड्स इंडिया का 7-5-3-1 नियम बेहद सरल और प्रभावी है. इसके रूल को फॉलो करने पर आप एक बेहतर इक्विटी एसआईपी निवेशक बन सकेंगे और लम्बी अवधि में बेहतर रिटर्न का फायदा मिलेगा.
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए इक्विटी (Equity) में निवेश सबसे सरल तरीका है, फिर भी हम में से कई लोग अनजाने में इसे जटिल बना देते हैं. इस आसान बनाने के लिए हम आपके लिए फंड्स इंडिया का 7-5-3-1 नियम लेकर आए हैं - जो बेहद सरल और प्रभावी नियम है. ये नियम आपको एक अच्छा इक्विटी एसआईपी निवेशक बनने और लम्बी अवधि में बेहतर रिटर्न का फायदा देगा.
7-5-3-1 नियम क्या है?
1. 7+ साल की निवेश की समय सीमा रखें
शेयर बाजार ( Share Market) आमतौर पर 7 साल से ज्यादा अवधि की समय-सीमा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. पिछले 22 से ज्यादा वर्षों में, जब 1 वर्ष की समय सीमा के लिए निवेश किया जाता है इस अवधि में 58 फीसदी अवधि ऐसी है जिसमें निफ्टी 50 टीआरआई (TRI) ने 10% से अधिक सलाना रिटर्न दिया है.
हालांकि, अगर 7 साल की समय सीमा के साथ निवेश किया जाता है तो 22 सालों में 80% अवधि ऐसी है जिसमें 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न इक्विटी मार्केट से मिला है. (यानि 10 में से 8 बार, 10% से अधिक रिटर्न).
इसके अलावा 7 साल की समय सीमा में बाजार में खराब स्थिति के बावजूद निवेशकों को कोई नेगेटिव रिटर्न नहीं मिला है. बेहद खराब स्थिति में भी निवेशकों ने कम से कम 5% वार्षिक रिटर्न जरूर अर्जित किया है. इसलिए, अपने इक्विटी एसआईपी निवेश का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के लिए 7 वर्षों तक के समय सीमा के लिए जरूर निवेशित रहें.
2. 5 फिंगर फ्रेमवर्क के जरिए अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में विविधता लाएं
जब हम केवल पिछले रिटर्न के आधार पर निवेश करते हैं, तो हम कुछ शैलियों और थीम्स के आधार पर पोर्टफोलियो को निर्भर बना देते हैं. और जब ऐसी थीम्स का दौर समाप्त हो जाता है तो आपका पूरा पोर्टफोलियो लंबे समय तक अंडरपरफॉर्म (Underperform) करने लगता है.
इसलिए, लंबी अवधि के लिए एक अच्छी पोर्टफोलियो बनाने के लिए अलग अलग निवेश के तरीकों, सेक्टर्स और मार्केट कैप के जरिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं जो बाजार के सभी चक्र में कम अस्थिरता के साथ आपको बेहतर रिटर्न दे. हमारी अनूठी इक्विटी पोर्टफोलियो कंस्ट्रक्शन स्ट्रैटजी '5 फिंगर फ्रेमवर्क' इसी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.
'5 फिंगर फ्रेमवर्क' का उद्देश्य लंबी अवधि में कम डाउनसाइड्स के साथ लगातार बेहतर प्रदर्शन देना है. पोर्टफोलियो को समान रूप से इक्विटी फंड्स में डायवर्सिफाई किया जाता है जो अलग-अलग समय पर गुणवत्ता, मूल्य, उचित मूल्य पर विकास, मिड एंड स्मॉल कैप और वैश्विक कारणों के आधार पर निवेश के फैसले लेता है.
3. विफलता के 3 सामान्य बिंदुओं के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें
इक्विटी बाजारों ने ऐतिहासिक रूप से लंबी समय अवधि में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है, वास्तविक चुनौती विफलता के तीन अस्थायी लेकिन अवश्य आने वाले चरणों से बचने की है जो प्रारंभिक वर्षों के दौरान (पहले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा) घटित होती है.
1. निराशा का फेज- जहां रिटर्न (7-10%) तक मिलता है.
2. इरिटेशन फेज - जहां रिटर्न हमारी उम्मीदों से काफी कम (0-7%) तक मिलता है.
3. पैनिक फेज - जहां रिटर्न नेगेटिव (0% से नीचे) तक मिलता है.
ये चरण इक्विटी बाजार में उठापटक के कारण पैदा होता है. पिछले 42 से ज्यादा वर्षों के भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास से पता चलता है कि - लगभग हर साल 10-20% की अस्थायी गिरावट बाजार में होती है और हर 7-10 साल में एक बार 30-60% की गिरावट बाजार में आती है.
आपकी एसआईपी निवेश (SIP Investment) यात्रा के शुरुआती वर्ष में बहुत कठिन हो सकती है क्योंकि रुक-रुक कर बाजार गिरता है तो इक्विटी रिटर्न में तेज गिरावट आ सकती है जिसके परिणामस्वरूप निराशा, इरीटेशन और घबराहट आती है. ऐसे चरणों से बचा नहीं जा सकता है.
हालांकि, ये गिरावट बेहद अस्थायी होते हैं. ऐतिहासिक रूप से, इक्विटी बाजार 1-3 वर्षों में पटरी पर लौटता है और बेहतर रिटर्न भी देता है.
4. हर 1 साल के बाद अपनी SIP की राशि बढ़ाएं!
हर साल आपकी इक्विटी SIP निवेश की रकम में मामूली वृद्धि भी लंबे समय में आपके पोर्टफोलियो के वैल्यू में बहुत बड़ा अंतर ला सकती है.
हर साल SIP राशि में वृद्धि से आपको ये मदद मिलती है-
● अपने वित्तीय लक्ष्यों को तेजी से हासिल करने में.
● वित्तीय लक्ष्यों का विस्तार करने में (उदाहरण के लिए जैसे आप 2 बीएचके के बजाय 3 बीएचके का घर खरीद सकते हैं.)
20 साल के एसआईपी का पोर्टफोलियो वैल्यू में हर साल 10% की वार्षिक बढ़ोतरी करने पर सामान्य SIP की जरिए किए निवेश के रकम के मुकाबले दोगुना रिटर्न देता है.
उदाहरण के लिए, 5,000 रुपये के SIP का पोर्टफोलियो मूल्य 12% वार्षिक रिटर्न के साथ 20 साल बाद बढ़कर 49 लाख रुपये हो जाता है. हालांकि जब SIP की राशि में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाती है तो 20 साल बाद पोर्टफोलियो का वैल्यू बढ़कर 98 लाख रुपये हो जाता है यानि सामान्य SIP से होने वाले रिटर्न के मुकाबले दोगुना.
7-5-3-1 नियम का पालन कर, आप अपनी धन सृजन यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं :)