मुबई: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को अमेजन.कॉम (Amazon.com) इंक  को मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल द्वारा फ्यूचर ग्रुप की 24,713 करोड़ रुपये की संपत्ति को खरीदने का विरोध करने की अनुमित दे दी. हालांकि कोर्ट ने इस सौदे का फैसला नियामकों पर छोड़ दिया. जानते हैं इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ.




  • पिछले साल, अमेजन ने फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर इकाई फ्यूचर कूपन में 49% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया, जिसकी कीमत 2,000 करोड़ रुपये तक थी.

  • इस सौदे के तहत, अमेज़ॅन को एक 'कॉल' विकल्प दिया गया था, जो इसे 3-10 वर्षों के भीतर फ्यूचर कूपन के प्रमोटर, कंपनी में फ्यूचर रिटेल के शेयरहोल्डिंग के सभी हिस्से को प्राप्त करने की संभावना का उपयोग करने में सक्षम बनाता था.

  • अगस्त में, रिलायंस रिटेल ने फ्यूचर ग्रुप से रिटेल एंड होलसेल बिजनेस, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनेस का अधिग्रहण करने की घोषणा की.

  • फ्यूचर रिटेल को खरीदने की रिलायंस की घोषणा के तुरंत बाद, अमेज़ॅन ने डील को गैर-प्रतिस्पर्धा खंड और राइट-ऑफ-फ़र्स्ट-रिफ्यूजल पैक्ट का उल्लंघन करार दिया जिसे उसने फ्यूचर ग्रुप के साथ हस्ताक्षरित किया था.

  • अमेज़न के अनुसार, तीसरे पक्ष के साथ किसी भी बिक्री समझौते में प्रवेश करने से पहले फ्यूचर समूह को अमेजन को सूचित करने की आवश्यकता है.

  • फ्यूचर ग्रुप ने कहा कि उसने फ्यूचर कूपन में कोई हिस्सेदारी नहीं बेची है और वह अपनी संपत्ति बेच रहा है और इसलिए उसने अनुबंध की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है.

  • अमेजन ने इसके बाद पास सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) के इमरजेंसी आर्बिट्रेटर (Emergency Arbitrator) का रुख किया, जिसने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल के साथ लेन-देन को आगे बढ़ाने में कोई कदम उठाने से रोक दिया.

  • अमेजन इंक ने बाजार नियामक सेबी, कंप्टीशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) जैसे वैधानिक प्राधिकरणों को लिखा, जिसमें इस सौदे को रोकने के लिए इमरजेंसी आर्बिट्रेटर के आदेश 'बाध्यकारी'  को बताया गया.

  • एंटीट्रस्ट रेगुलेटर को लिखकर रिलायंस-फ्यूचर रिटेल डील को मंजूरी नहीं देने की अमेजन के अपील के बावजूद, कंप्टीशन कमिश्न ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने 20 नवंबर को लेनदेन को मंजूरी दे दी.

  • फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया, रिलायंस के साथ अपने सौदे को रोकने के प्रयास में उसने अदालत से अमेज़न को वैधानिक अधिकारियों को लिखने से रोकने की मांग की.

  • सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वह रिलायंस को अपनी 3.4 बिलियन डॉलर की परिसंपत्ति की बिक्री में हस्तक्षेप करने से अमेजन को रोकना चाहता है.


कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, "वर्तमान आवेदन का निपटारा किया जाता है, एफआरएल द्वारा प्रार्थना के रूप में अंतरिम निषेधाज्ञा के अनुदान को अस्वीकार करते हुए, हालांकि, वैधानिक प्राधिकरण / नियामक को निर्देशित किया जाता है कि वे कानून के अनुसार आवेदन / आपत्तियों पर निर्णय लें."


आगे क्या होगा?
इस सौदे को मंजूरी देने के लिए सभी की निगाहें बाजार नियामक सेबी पर होंगी. रिलायंस के सूत्रों के अनुसार, सेबी को फ्यूचर रिटेल द्वारा प्रस्तुत योजना को मंजूरी देनी है, क्योंकि यह योजना कंपनी अधिनियम और अन्य सेबी नियमों के वैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करती है. सेबी द्वारा स्कीम की मंजूरी के लिए अमेज़न की आपत्तियां अब प्रासंगिक नहीं हैं.


अमेजन के प्रवक्ता ने abp नेटवर्क के एक प्रश्न के उत्तर में कहा, “हम दिल्ली के उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं जो फ्यूचर रिटेल द्वारा मांगी गई अंतरिम निषेधाज्ञा को खारिज करता है और उनके इस दावे को भी कि भारतीय कानून के तहत इमरजेंसी आर्बिट्रेटर (Emergency Arbitrator)  प्रक्रिया अमान्य है.