नई दिल्ली: संसद ने आज एक ऐसे कठोर विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसकर उन्हें देश छोड़कर भागने से रोका जा सकेगा. राज्यसभा ने आज भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. इस विधेयक में ऐसे आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने और 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में समयबद्ध तरीके से करवाये जाने का प्रावधान है. विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों द्वारा बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने के बाद देश से फरार हो जाने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है.


विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक समुचित विधेयक है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जहां लोग कानूनी प्रक्रिया से बचकर देश से बाहर चले गये. ऐसे लोगों को रोकने की जरूरत है क्योंकि मौजूदा कानून इस समस्या की गंभीरता से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘फौजदारी कानून हमें उनकी संपत्ति जब्त करने की अनुमति नहीं देते.’’


भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त  होंगी


उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी. गोयल ने कहा कि 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों के लिए विधेयक में प्रावधान किए गए हैं जिसका मकसद बड़े आर्थिक अपराधियों पर ध्यान केन्द्रित करना है. उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि इससे कम राशि वाले अपराध के मामलों में अपराधी कानूनी कार्रवाई से बाहर रहेंगे.


बड़े आर्थिक अपराधियों को हतोत्साहित करेगा विधेयक


विधेयक के उद्देश्य और कारण में कहा गया है कि आर्थिक अपराधी दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ होने की संभावना में या कभी कभी ऐसी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर जाते हैं. भारतीय अदालतों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के कारण कई हानिकारक परिणाम हुए हैं. इससे दंडात्मक मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है और अदालतों का कीमती समय बर्बाद होता है.


आर्थिक अपराधों के ऐसे अधिकतर मामलों के बैंक कर्जों से संबंधित होने के कारण भारत में बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिति और खराब होती है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान सिविल और न्यायिक उपबंध इस समस्या की गंभीरता से निपटने के लिये सम्पूर्ण रूप से पर्याप्त नहीं है. इस समस्या का समाधान करने और बड़े आर्थिक अपराधियों को हतोत्साहित करने के उपायों के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक लाया गया है.


भगोड़ा आर्थिक अपराधी


इसमें कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने ऐसे अपराध किये हैं जिनमें 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है और वे भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिये भारत आने से इंकार करते हैं.


इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की का प्रावधान किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने का अधिकार नहीं होगा. ऐसे मामलों में विशेष अदालतों द्वारा समयबद्ध तरीके से सुनवाई की जाएगी और उनके आदेशों के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है.