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बिटक्वॉयन के जोखिम के प्रति सरकार ने किया आगाह, पोंजी स्कीम के समान माना
बिटक्वॉयन समेत वर्चुअल करेंसी एक तरह की आभासी मुद्रा है जिसकी कीमत हाल के दिनों में भारी तेजी से बढ़ी है. इसे देखते हुए सरकार ने बिटक्वॉयन समेत तमाम वर्चुअल करेंसी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया है.
नई दिल्ली: सरकार ने बिटक्वॉयन समेत तमाम वर्चुअल करेंसी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया है. साथ ही इसे एक तरह का पोंजी स्कीम माना है जिसमें भारी मुनाफे के लालच में लोग पैसा लगाते हैं, लेकिन बाद में मूल के भी लाले पड़ जाते है.
बिटक्वॉयन की कीमत 10 लाख रुपये से भी ज्यादा है
बिटक्वॉयन समेत वर्चुअल करेंसी एक तरह की आभासी मुद्रा है जिसकी कीमत हाल के दिनों में भारी तेजी से बढ़ी. इस तरह की मुद्रा को क्रिप्टो करेंसी के नाम से भी पुकारा जाता है. आज के दिन में एक बिटक्वॉयन की कीमत 10 लाख रुपये से भी ज्यादा है. सरकार के पहले रिजर्व बैंक भी लोगों को वर्चुअल करेंसी के प्रति तीन बार (दिसंबर, 2013, फरवरी 2017 और दिसंबर 2017) में आगाह कर चुका है. फिर भी लोगों के बीच आकर्षण कम नहीं हुआ. इसी के बाद वित्त मंत्रालय को बयान जारी करना पड़ा है.
वर्चुअल करेंसी ना तो नोट है और ना ही सिक्का
मंत्रालय का कहना है कि ना तो सरकार औऱ ना ही रिजर्व बैंक ने वर्चुअल करेंसीको लेन-देन के माध्यम के रुप में किसी तरह की मान्यता दे रखी है. इसके प्रति सरकार का कोई ‘फिएट’ (रुपया-पैसा फिएट करेंसी है, यानी सरकार ने उसे कानूनी तौर पर लेन-देन के माध्यम के रुप में मान्यता दे ऱखी है) भी नही है. वर्चुअल करेंसी ना तो कागजी नोट के रुप में नजर आता है और ना ही धातु के सिक्के के तौर पर. लिहाजा वर्चुअल करेंसी ना तो नोट है और ना ही सिक्का. सरकार या किसी भी नियामक ने किसी भी एजेंसी, संस्था, कंपनी या बाजार मध्यस्थ को बिटक्वॉयन जारी करने का लाइसेंस दे रखा है. मंत्रालय का साफ तौर पर कहना है कि जो लोग भी इसमें पैसा लगा रहे हैं, वो अपने जोखिम पर ही ऐसा कर रहे हैं.
हैंकिंग, पासवर्ड भूलने और मैलवेयर के हमले जैसे खतरा हमेशा बना रहता है
मंत्रालय के ये भी कहना है कि वर्चुअल करेंसी की कोई निहित कीमत नहीं है और ना ही उसके पीछे कोई संपत्ति होती है. ऐसे में कीमतों में उतार-चढ़ाव पूरी तरह से सट्टेबाजी है. इस आभासी मुद्रा में वास्तविक जोखिम है और जिस तरह से लोग पोंजी स्कीम में पैसा गंवाते है, वैसी ही स्थिति यहां भी हो सकती है. ऐसी मुद्रा इलेक्ट्रॉनिक रुपरुप में रखी जाती है. ऐसे में हैंकिंग, पासवर्ड भूलने और मैलवेयर के हमले जैसे खतरा हमेशा बना रहता है. अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो पैसा पूरी तरह से डूब जाएगा. मंत्रालय को ये भी आशंका है कि ऐसी मुद्रा का इस्तेमाल आंतकी गतिविधियों के लिए पैसा मुहैया कराने, तस्करी, मादक दवाओं का व्यापार और गैरकानूनी तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पैसा भेजने में किया जा सकता है.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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