बढ़ने लगा है डिजिटल भुगतान का चलन, इस साल 30.2 फीसदी की वृद्धि- रिजर्व बैंक
देश में डिजिटल भुगतान का चलन बढ़ रहा है. 2020-21 वित्त वर्ष में देश में डिजिटल भुगतान में 30.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
![बढ़ने लगा है डिजिटल भुगतान का चलन, इस साल 30.2 फीसदी की वृद्धि- रिजर्व बैंक The trend of digital payment is increasing, 30 percent growth rate of digital payment in this financial year. बढ़ने लगा है डिजिटल भुगतान का चलन, इस साल 30.2 फीसदी की वृद्धि- रिजर्व बैंक](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/07/01/09956a9ad48bdc57df515ccf13936f23_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नोटबंदी के बाद एक वीडियो में देखा गया था कि सड़क पर भीख मांगने वाले एक शख्स को जब कार में बैठी महिला ने कहा कि छुट्टा नहीं है तो उसने तुरंत कार्ड स्वैप मशीन निकाल कर दिखा दिया. देश में डिजिटल भुगतान का यह नया स्वरूप था. शहरों में तो चाय वाले भी पेटीएम या अन्य डिजिटल माध्यम से पैसा लेने के लिए बोर्ड लगाए हुए हैं. लॉकडाउन के बाद तो देश में डिजिटल भुगतान का चलन और बढ़ गया है. ज्यादातर शहर के लोग अब डिजिटल रूप से ही पैसे का लेन-देन करने लगे हैं. रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह बात कही गई है.
270 पर पहुंच गया है डिजिटल भुगतान का सूचकांक
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में डिजिटल भुगतान में 30.19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी जिससे देश में बढ़ते डिजिटल लेनदेन का पता चलता है. नवगठित डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) के अनुसार, मार्च 2021 के अंत में सूचकांक बढ़कर 270.59 हो गया, जो एक साल पहले 207.84 था. रिजर्व बैंक ने कहा, "आरबीआई-डीपीआई सूचकांक ने हाल के वर्षों में देश भर में डिजिटल भुगतान में हुई बढ़ोतरी का प्रतिनिधित्व करने वाले सूचकांक में महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रदर्शन किया है."
पांच मानदंड के आधार पर सूचकांक
रिजर्व बैंक ने इससे पहले देश भर में डिजिटल भुगतानों की सीमा का पता लगाने के लिए एक समग्र भारतीय रिजर्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) के निर्माण की घोषणा की थी. इसके लिए मार्च 2018 को आधार बनाया गया था.आरबीआई-डीपीआई में पांच व्यापक मानदंड शामिल हैं जो अलग-अलग समय अवधि में देश में डिजिटल भुगतान की गहराई और पैठ को मापने में सक्षम बनाते हैं. ये मानदंड हैं - ऑनलाइन भुगतान को सक्षम बनाने वाली व्यवस्था (भार 25 प्रतिशत); भुगतान अवसंरचना - मांग-पक्ष कारक (10 प्रतिशत); भुगतान अवसंरचना - आपूर्ति पक्ष कारक (15 प्रतिशत); भुगतान का कार्य-प्रदर्शन (45 प्रतिशत); और उपभोक्ता केन्द्रीयता (5 प्रतिशत).
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