भारतीय रेल देश में लोगों के आवागमन के सबसे मुख्य साधनों में से एक है. हर रोज करोड़ों यात्री भारतीय रेल से सफर करते हैं. इनमें कई स्कूल-कॉलेज जाने वाले होते हैं तो कई लोगों का घर से दफ्तर का सफर रेलवे से पूरा होता है. आपने भी जरूर भारतीय रेल से यात्रा की होगी. अब अगर अगली बार आप रेलवे से सफर करने जाएं तो उससे पहले आपको सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा फैसले को जरूर जान लेना चाहिए.


इस अनाउंसमेंट की बांध लें गांठ


आपने रेलवे से सफर करते दौरान कई बार ये अनाउंसमेंट सुना होगा... ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें... यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें’. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस अनाउंसमेंट पर मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अगर सफर के दौरान आपका कोई सामान खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो उसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं है और इसे रेलवे की ओर से सेवा में कमी नहीं माना जा सकता है.


इस मामले को सुन रही थी कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग यानी एनसीडीआरसी के एक फैसले के खिलाफ आई याचिका को सुन रही थी. संबंधित मामले में एक व्यवसायी का सामान खो गया था. व्यवसायी ने जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष दावा किया था कि एक ट्रेन से यात्रा करते समय उसकी कमर में बंधी बेल्ट में रखे एक लाख रुपये खो गए थे और उसने अपने नुकसान के लिए रेलवे से भरपाई की मांग की थी. एनसीडीआरसी ने रेलवे को एक व्यवसायी को एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.


अपने सामान की खुद करें रक्षा


न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की अवकाशकालीन पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया. पीठ ने कहा कि रेल यात्रा के दौरान किसी के सामान की चोरी होना रेलवे की सेवा में कमी नहीं कहा जा सकता. अगर यात्री अपने सामान की रक्षा खुद नहीं कर पाता है तो इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.


सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणी


पीठ ने कहा,हम यह समझने में विफल हैं कि चोरी को किसी भी तरह से रेलवे की सेवा में कमी कैसे कहा जा सकता है. अगर यात्री अपने सामान की रक्षा करने में सक्षम नहीं है, तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.


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