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Investment in Gold: सोने में निवेश के हैं चार तरीके, जान लें कितना देना होगा टैक्स
लोग सोने को ज्वैलरी के रूप में खरीदते ही नहीं बल्कि इसमें निवेश करना भी पसंद करते हैं. सोने में किया गया निवेश बुरे वक्त में काम आ जाता है.
![Investment in Gold: सोने में निवेश के हैं चार तरीके, जान लें कितना देना होगा टैक्स There are four ways to invest in gold, know how much tax will have to be paid Investment in Gold: सोने में निवेश के हैं चार तरीके, जान लें कितना देना होगा टैक्स](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/03/01235114/gold.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सोना हमेशा से लोगों को आकर्षित करता रहा है. लोग सोने को ज्वैलरी के रूप में खरीदते ही नहीं बल्कि इसमें निवेश करना भी पसंद करते हैं. सोने में किया गया निवेश बुरे वक्त में काम आ जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि सोने में निवेश करने के कितने तरीके हैं और इनमें टैक्स के क्या नियम हैं.
फिजिकल गोल्ड गोल्ड ज्वैलरी, बार या सिक्कों में निवेश करना सोने में निवेश का सबसे मशहूर और पुराना तरीका है. फिजिकल गोल्ड की खरीद पर 3 फीसदी जीएसटी देय है.
टैक्स
- आपने कितने समय सोना अपने पास रखा. टैक्स की देनदारी इस पर निर्भर करती है.
- सोना खरीदने की तारीख से तीन साल के भीतर सोना बेचने से हुए किसी भी फायदे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. आपकी सालाना इनकम में इसे जोड़ते हुए एप्लिकेबल इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी.
- तीन साल के बाद गोल्ड बेचने पर प्राप्त हुई रकम को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस पर 20 फीसदी की टैक्स देनदारी बनेगी. साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 4 फीसदी सेस और सरचार्ज भी लगेगा.
ETF
- गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) आपकी कैपिटल को फिजिकल गोल्ड में निवेश करता है.
- सोने की कीमत के हिसाब से यह घटता-बढ़ता रहता है. इस पर फिजिकल गोल्ड की तरह की टैक्स लगता है.
सॉवरेन गोल्ड बांड्स
- आरबीआई, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की ओर से जारी करता है.
- निवेशकों को हर साल 2.5 फीसदी का ब्याज हासिल होता है.
- इसे करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में जोड़ा जाता है. इसी आधार पर टैक्स लगता है.
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदे जाने के 8 साल पूरा होने के बाद मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है है.
- अगर प्रीमैच्योरली एग्जिट करते हैं तो बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू होते हैं.
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड आमतौर पर 5 साल है.
- लॉक इन पीरियड पूरा होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड बेचने से आने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है और 20 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस प्लस सरचार्ज लगता है.
डिजिटल गोल्ड
- डिजिटल गोल्ड का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
- डिजिटल गोल्ड की बिक्री के मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर फिजिकल गोल्ड या गोल्ड ईटीएफ की तरह ही टैक्स देनदारी बनती है. यानी 20 फीसदी टैक्स प्लस सेस व सरचार्ज.
- डिजिटल गोल्ड 3 साल से कम अवधि तक ग्राहक के पास रहा तो इसकी बिक्री से रिटर्न पर सीधे तौर पर टैक्स नहीं लगता है.
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