ITR Filing: आयकर रिटर्न भरना और इनकम टैक्स जमा करना दो अलग-अलग चीजें हैं. इनकम टैक्स रिटर्न भरने का मतलब सरकार को अपनी आमदनी-निवेश और खर्च की जानकारी देना है. आईटीआर भरने के बाद अगर आप पर टैक्स देनदारी बनती है तो आपको टैक्स चुकाना पड़ता है.


किनके लिए जरूरी, किनके लिए नहीं



  • अगर आप भारत के नागरिक हैं या प्रवासी भारतीय हैं और आपकी किसी एक वित्त वर्ष में कुल सालाना आय 2,50,000 रुपये से ज्यादा है तो आपके लिए ITR भरना जरूरी है.

  • अगर आपको नौकरी, कारोबार या पेशे से टैक्स छूट की सीमा से अधिक आमदनी होती है तो आपके लिए ITR फाइल करना जरूरी है.

  • किसी एक वित्त वर्ष में अगर आपकी कुल आमदनी सिर्फ कृषि और उससे जुड़े कार्य से होती है तो आपको आईटीआर भरने की जरूरत नहीं है.

  • अगर आपकी कुल सालाना आमदनी 5 लाख रुपये से कम है तब भी आपके लिए आईटीआर भरना जरूरी नहीं है.


सबको भरनी चाहिए ITR



  • सच यह है कि सभी को आईटीआर भरनी चाहिए.

  • नौकरी या कारोबार से कुल सालाना आमदनी 5 लाख रुपये से कम होने पर भी आईटीआर फाइल की जा सकती है.

  • आप भले ही कोई टैक्स नहीं चुकाते लेकिन अपनी आमदनी का एक ठोस सबूत जमा कराते हैं.


आईटीआर भरने के कई फायदे



  • देश से बाहर नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए आपके पास पिछले 3 साल का ITR होना चाहिए. वीजा के लिए आवेदन तभी स्वीकार किए जाते हैं.

  • लोन के लिए आवेदन करते समय बैंकर आपकी आय के स्रोतों को सत्यापित करने के लिए टैक्स रिटर्न की कॉपी मांगते हैं. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड, बीमा पॉलिसी आदि प्राप्त करने में भी आयकर रिटर्न मदद करती है. यह आपकी इनकम के प्रुफ के तौर पर काम आती है.

  • टैक्स रिफंड के लिए क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना होता है. कई बार इनकम स्लैब टैक्स के दायरे में नहीं आने पर भी टीडीएस कट जाता है. अगर आप चाहते हैं कि टीडीएस का कटा हुआ पैसा आपको रिफंड हो जाए तो इसके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.


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