Dairy Products Import: सरकार का दावा- देश में नहीं है दूध और मक्खन की कमी, आयात की जरूरत से इनकार
Dairy Products Shortage: कुछ खबरों में कहा जा रहा था कि देश में मक्खन व अन्य डेयरी उत्पादों की कमी हो सकती है... हालांकि सरकार ने इन आशंकाओं को दरकिनार कर दिया है...
देश में मक्खन व अन्य डेयरी उत्पादों की कमी के कयासों पर सरकार ने शुक्रवार को विराम लगा दिया. केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने देश में डेयरी उत्पादों की कमी होने की खबरों को निराधार बताया और कहा कि इनका आयात करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार लगातार इस मामले में नजरें बनाए हुए है.
रुपाला ने बताई ये बात
रुपाला के पास अभी मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी है. उन्होंने तमाम कयासों के बीच साफ किया कि भारत को अभी बटर या किसी भी अन्य डेयरी उत्पाद का आयात करने की जरूरत नहीं है. देश में ही मौजूद संभावनाओं का अच्छे से दोहन नहीं किया गया है. ऐसे में घरेलू क्षेत्र से ही डेयरी उत्पादों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी और इंडस्ट्री की स्थिति को सुधार लिया जाएगा.
कयासों में नहीं है सच्चाई
केंद्रीय मंत्री रुपाला शुक्रवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने इससे इतर संवाददाताओं से बात करते हुए देश में डेयरी उत्पादों की कमी के कयासों को लेकर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, इन कयासों में कोई सच्चाई नहीं है. इनका कोई आयात नहीं होगा. देश में दूध या दूध से बने उत्पादों की कोई कमी नहीं है. सरकार लगातार स्थिति की निगरानी कर रही है.
सरकार करेगी अच्छे से मैनेज
उन्होंने दावा किया कि भले ही दूध व दूध से बने उत्पादों की मांग बढ़ी है, लेकिन देश में ही इसका काफी बड़ा क्षेत्र है, जिसका फायदा नहीं उठाया गया है. हम उनका इस्तेमाल करने का प्रयास करेंगे. हम इसे अच्छे से मैनेज करेंगे. इस बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.
किसानों को मिल रहा भाव
रुपाला ने यह भी कहा कि कयासों को लेकर न तो किसानों को घबराने की जरूरत है, न ही ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत है. दूध व डेयरी उत्पादों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बारे में चिंता नहीं होनी चाहिए. किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है.
तेजी से बढ़े हैं दूध के दाम
आपको बता दें कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 के दौरान देश में दूध का कुल उत्पादन 221 मिलियन टन रहा था. यह साल भर पहले के 208 मिलियन टल् की तुलना में 6.25 फीसदी ज्यादा था. हालांकि पिछले कुछ महीनों के दौरान लम्पी वायरस की बीमारी व कुछ अन्य परिस्थितियों ने बाजार को प्रभावित किया है. बीमारी से दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ है, वहीं दूसरी ओर पशुओं के चारे के भाव तेजी से बढ़े हैं. यही कारण है दूध के दाम में लगातार वृद्धि देखने को मिली है, जो आम लोगों की रसोई के बजट को बिगाड़ रहा है.
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