नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय का कहना है कि हाउसिंग सोसायटी या रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से मुहैया करायी जाने वाली सेवाएं, जीएसटी लागू होने के बाद महंगी नहीं होगी. पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पहली जुलाई से लागू हो चुका है.


मंत्रालय का ये रुख ऐसे समय में आया है जब सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर ये चर्चा गरम है कि जीएसटी लागू होने के बाद हाउसिंग सोसायटी में रहने वालों को सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध सामान और सेवाओं पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए मंत्रालय ने कहा है:




  • हाउसिंग सोसायटी या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन चाहे पंजीकृत हो या नहीं, यदि वो अपने सदस्यों से पांच हजार रुपये तक हर महीने फीस लेते हैं, तो उसपर जीएसटी नहीं लगेगा.

  • अगर फीस पांच हजार रुपये से ज्यादा हो, लेकिन सोसायटी या एसोसिएशन की सालाना कमाई 20 लाख रुपये से कम हो तो वहां पर भी जीएसटी नहीं लगेगा

  • बहरहाल, पांच हजार रुपये से ज्यादा फीस और 20 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई होने की सूरत में एसोसिएशन को जीएसटी देना होगा, लेकिन वहां पर सोसायटी को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलेगा.

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट जेनरेटर, वाटर पंप, लॉन फर्नीचर, नल और मरम्मत व रखरखाव सेवाओं पर किए गए खर्च के बदले में इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सकेंगे. मतलब जीएसटी की जितनी देनदारी बनेगी, उसमें से सामान व सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी को घटा दिया जाएगा.

  • ध्यान रहे कि पहले सोसायटी को किसी तरह का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता था.


हॉस्टल फीस
मंत्रालय ने शिक्षण संस्थानों में हॉस्टल सुविधाओं पर जीएसटी को लेकर भी स्थिति साफ की है. दरअसल, ऐसी खबरें आ रही हैं कि हॉस्टल फीस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाएगा. लेकिन मंत्रालय का कहना है कि यदि कोई शिक्षण संस्थान अपने छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को जो सुविधाएं मुहैया कराता है, उनपर जीएसटी नहीं लगेगा. इन सुविधाओं में हॉस्टल सुविधा भी शामिल है. बहरहाल, मंत्रालय के बयान से ये बात भी साफ हो रही है कि हॉस्टल सुविधा पर तभी जीएसटी नहीं लगेगा जब वो खुद संस्थान की ओर से मुहैया करायी जा रही हो, लेकिन यदि हॉस्टल यदि संस्थान के बाहर हो और वो किसी और संस्था की ओर से मुहैया करायी जा रही हो, तो उसपर जीएसटी लगेगा.