SEBI: भारत में इस समय 12 सरकारी बैंक (Public Sector Banks) हैं. इनमें से 5 बैंकों ने अभी तक मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (Minimum Public Shareholding) नियम का पालन नहीं किया है. इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा है. सेबी के अनुसार, हर लिस्टेड कंपनी की कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी पब्लिक के पास होनी चाहिए. इन 5 बैंकों को इसी साल अगस्त तक एमपीएस नियम का पालन करना है. हालांकि, फिलहाल इसकी उम्मीद नजर नहीं आ रही. ऐसे में सेबी की ओर से इन सभी बैंकों को 2 साल का वक्त और मिल सकता है.  


सेबी ने 5 बैंकों को अगस्त, 2024 तक का दिया था समय


फाइनेंशियल सेक्रेटरी विवेक जोशी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि सेबी ने इन 5 बैंकों को अगस्त, 2024 तक का समय दिया था. अब हमने डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स से इस समय सीमा में विस्तार की मांग की है. आम तौर पर सेबी ऐसे मामलों में 2 साल का समय दे देता है. हमें पूरी उम्मीद है कि यह समय इन 5 बैंकों को भी मिल जाएगा. फिलहाल पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank) में सरकार की 98.25 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) में 96.38 फीसदी, यूको बैंक (UCO Bank) में 95.39 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) में 93.08 फीसदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) में 86.46 फीसदी है.


सभी बैंक अपने-अपने हितों के हिसाब से फैसले लेंगे


विवेक जोशी ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में उसकी हिस्सेदारी इसी वित्त वर्ष में 75 फीसदी से नीचे चली जाए. हालांकि, ये सभी बैंक अपनी जरूरतों के हिसाब से हिस्सेदारी बेचने का फैसला लेंगे. इसके लिए क्वालिफाइड इंस्टीटूशनल प्लेसमेंट (QIP) या किसी अन्य रूट का सहारा भी लिया जा सकता है. मार्केट की स्थितियों और शेयरहोल्डर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए ये सभी बैंक अपने-अपने फैसले लेंगे.


तैयार करने हैं एसबीआई और आईसीआईसीआई जैसे बैंक 


विकसित भारत विजन 2047 (Viksit Bharat) के बारे में उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (Department of Economic Affairs) इस बारे में योजना तैयार कर रहा है. हम चालू वित्त वर्ष में ही अपनी रणनीति घोषित कर देंगे. हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि साल 2047 तक हमें एसबीआई (SBI) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) जैसे कितने ग्लोबल बैंक की जरूरत पड़ेगी. इसके साथ ही बैंकिंग कंपनियों और आईटी कंपनियों की जरूरत को लेकर भी चर्चा की जा रही है. इसके अलावा कानूनों में भी बदलाव किए जाएंगे.


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