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Motor Insurance: ये हैं वो 7 कारण जिनके चलते आपकी गाड़ी का मोटर इंश्योरेंस हो सकता है खारिज

गाड़ी लेते समय आपको इसका इंश्योरेंस भी कराना होता है और इंश्योरेंस कंपनी को सारी जानकारी देनी होती है क्योंकि अगर क्लेम करने की नौबत आए तो आपको किसी तरह की परेशानी न हो.

नई दिल्लीः अगर आप गाड़ी चलाते हैं तो ये तो जानते ही होंगे कि इसका इंश्योरेंस कराना कितना जरूरी है. गाड़ी का इंश्योरेंस आपके वाहन के लिए एक तरह से ऐसी सेफ्टी का काम करता है जिसमें अगर गाड़ी या मोटरसाइकिल दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो उसके लिए इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम किया जा सकता है. 

हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें मोटरसाइकिल सवार की जान सड़क हादसे में चली गई और इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम खारिज कर दिया क्योंकि उसकी बाइक 346 सीसी की थी. बाद में पता चला कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कंपनी इंश्योरेंस क्लेम देने के लिए बाध्य नहीं थी. गाड़ी के इंश्योरेंस में क्लॉज था कि अगर बाइक 150 सीसी से ज्यादा होगी तो क्लेम नहीं मिलेगा. अब इसे कंपनी की तरफ से मिस सैलिंग कहा जा सकता है या ये भी माना जा सकता है कि इंश्योरेंस धारक को अपनी पॉलिसी के बारे में ठीक से पता नहीं था. ऐसी किसी भी अप्रिय परिस्थिति से बचने के लिए आपको ये जानना जरूरी है कि कौन से वो कारण या स्थिति हैं जिनके होने से आपका इंश्योरेंस क्लेम खारिज हो सकता है. यहां ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में बताया जा रहा है. 

किन हालात में मिलता है क्लेम
चाहे 2 व्हीलर हो या 4 व्हीलर, इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम उसी सूरत में मिलता है जब नुकसान दुर्घटनावश हुआ हो, प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो, गाड़ी चोरी हुई हो या दुर्घटनावश गाड़ी में आग लगी हो. अब यहां जानें कि कौनसी वजह से गाड़ी का क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है. 

इंश्योरेंस पॉलिसी या ऐड ऑन कवर्स के बारे में कम जानकारी
क्लेम खारिज होने का एक प्रमुख कारण ये भी है कि कुछ खास तरह के डैमेज पॉलिसी में कवर नहीं होते और इनके लिए अलग से ऐड-ऑन कवर्स लेने होते हैं. उदाहरण के लिए इंजन के डैमेज होने या गुजरते समय के साथ गाड़ी में आने वाली खराबी के लिए बेसिक पॉलिसी में कवर मिलता नहीं है. लिहाजा आपको इसके लिए अलग से इंजन प्रोटेक्टर और जीरो डेप्रिसिएशन ऐड-ऑन कवर्स लेना चाहिए. 

रिपेयर्स के लिए भेजे जाने पर
एक सामान्य गलती जो गाड़ी के मालिक करते हैं वो ये है कि कुछ दुर्घटना या डैमेज होने पर गाड़ी को खुद रिपेयर के लिए भेज दिया जाता है और इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जानकारी दी जाती है. कंपनी को पता लगाना मुश्किल होता है कि एक्सीडेंट में गाड़ी कितनी डैमेज हुई है और रिपेयर के हो जाने के बाद ये पता लगाना और कठिन होता है जिसकी वजह से वो क्लेम देने से इंकार कर सकती है.

कमर्शियल यूज के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करने पर
अगर आपने गाड़ी पर्सनल यूज के लिए ली हुई है लेकिन आप इसका इस्तेमाल कमर्शियल यूज के लिए कर रहे हैं तो एक्सीडेंट होने की सूरत में क्लेम को रिजेक्ट किया जा सकता है.

इंश्योरर को गलत जानकारी देने पर
अगर गाड़ी की इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय गलत जानकारी दी जाती है या गाड़ी की हालत को गलत तरीके से दिखाया जाता है तो भी क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. उदाहरण के लिए जैसे पहले से हुए डैमेज को ना बताना या एक्सीडेंट के बाद गलत जानकारी देने पर भी क्लेम खारिज किया जा सकता है. 

मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल ब्रेकडाउन
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में किसी तरह का मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल खराबी या ब्रेकडाउन कवर नहीं होता है.

पॉलिसी को रिन्यू में देरी करने पर
अगर आपने मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी को समय पर रिन्यू नहीं कराया और इस दौरान गाड़ी का एक्सीडेंट होता है तो कंपनी क्लेम देने से इंकार कर सकती है.

गाड़ी में मॉडिफिकेशन या बदलाव करने पर
अगर आप गाड़ी में सीएनजी किट लगवाते हैं या कोई एसेसरीज अलग से इंस्टॉल कराते हैं या व्हीकल बॉडी में कोई चेंज कराते हैं तो आपको तुरंत इसकी जानकारी इंश्योरर को देनी चाहिए वर्ना एक्सीडेंट होने की सूरत में क्लेम खारिज हो सकता है. 

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