नई दिल्लीः कल ही हमने आपको बड़ी खबर दी थी कि केंद्र की मोदी सरकार वित्त वर्ष की तारीख बदल सकती है. यानी 1 अप्रैल से शुरू होने वाला वित्त वर्ष कैलेंडर इयर की तरह 1 जनवरी से शुरू हो सकता है. कल नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके संकेत दिए कि आम बजट की तारीख बदलने के बाद अब सरकार वित्त वर्ष की तारीख बदलने का फैसला भी ले सकती है. ऐसे में अगर वित्त वर्ष की तारीख बदल गई तो आपकी जिंदगी पर कैसा असर हो सकता है ये आपके लिए जानना जरूरी है.


आम बजट की तारीख बदली, अब बदल सकती है वित्त वर्ष की तारीख!


सबसे पहले होंगे ये बदलाव


अगर सरकार वित्त वर्ष की तारीख बदलकर इसे 1 जनवरी से 31 दिसंबर कर देती है तो सबसे पहले जिस साल इसका ऐलान होगा वो साल छोटा हो जाएगा. अगर मान लीजिए कि मई तक सरकार ने ऐलान कर दिया कि आगे से वित्त वर्ष की तारीख 1 जुलाई से 31 दिंसबर होगी तो इस साल के लिए बचे महीने कम हो जाएंगे यानी वित्त वर्ष छोटा हो जाएगा.


1. इनकम टैक्स के मोर्चे पर होंगे ये बड़े बदलाव

  • आपका टैक्स कलेंडर बदल गया तो आपके लिए सबसे बड़ा चेंज ये होगा कि आप अभी जो टैक्स फाइलिंग 31 जुलाई तक करते हैं उसके लिए तारीख बदल जाएगी. फिलहाल जिनका ऑडिट नहीं होना और सैलरी क्लास 31 मार्च तक टैक्स फाइलिंग कर सकते हैं और जिनका ऑडिट होना है वो 30 सितंबर तक टैक्स फाइलिंग कर सकते हैं तो उसकी फाइलिंग की तारीख 31 दिसंबर तक हो सकती है.

  • फिलहाल जो टैक्स प्लानिंग आम जनता मार्च के महीने में आकर करती है ताकि टैक्स ना कट जाए और 80सी, 80 डी जैसे निवेश विकल्पों में मिलने वाली टैक्स छूट का फायदा मिल जाए उस टैक्स प्लानिंग में भी आपको बदलाव करना होगा. आम आदमी के लिहाज से इनकम टैक्स फाइलिंग की तारीखें बदलने पर टैक्स प्लानिंग की तारीखें भी बदलेंगी.

  • दफ्तरों, संस्थाओं में इनकम टैक्स डेक्लेरेयशन और इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा कराने की तारीखों में बदलाव होना संभाव है क्योंकि टैक्स फाइलिंग की तारीख बदलेगी.


2. बैंकिंग सिस्टम में होगा ये बड़ा चेंज




  • आर्थिक गतिविधियों जैसे बैंकिंग की क्लोजिंग जो 31 हर साल 31 मार्च तक होती है उसकी तारीख भी बदलकर 31 दिसंबर हो सकती है.

  • बैंकों को अकाउंटिंग स्टैडर्ड में बदलाव करना होगा


3. स्टॉक मार्केट पर असर
फिलहाल दिसंबर के महीने में विदेशी निवेशक अपने वित्त वर्ष के खत्म होने के चलते दुनियाभर के बाजारों से बिकवाली करते हैं तो दिसंबर का महीना भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए अच्छा नहीं रहता. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का वित्त वर्ष दुनिया के बाकी देशों के वित्त वर्ष से अलग है. यदि भारत का भी वित्त वर्ष 31 दिसंबर को खत्म होगा तो भारतीय बाजार का चलन भी बाकी विदेशी शेयर बाजार की तरह ही होगा.


3. कंपनियों के नतीजों की तिमाहियां बदल जाएंगी.
बाजार में अभी कंपनियों के तिमाही नतीजों के लिए पहली तिमाही 1 अप्रैल से 30 जून, दूसरी तिमाही 1 जुलाई से 30 सितंबर, तीसरी तिमाही 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर और चौथी तिमाही 1 जनवरी से 31 मार्च तक होती है. वित्त वर्ष बदलने के बाद पहली तिमाही 1 जनवरी से 31 मार्च तक मानी जाएगी और उसके आगे की तिमाहियां उसी के मुताबिक चलेंगी.


4. बजट की तारीख पर होगा असर
वहीं एक और असर की बात की जा सकती है कि हाल ही में सरकार ने फरवरी की आखिरी तारीख से बदलकर फरवरी की पहली तारीख को बजट का दिन मुकर्रर किया है लेकिन वित्त वर्ष की तारीख बदलती है तो एक बार फिर बजट की तारीख में बदलाव हो सकता है. चूंकि नया वित्त वर्ष आने से पहले बजट के प्रावधानों का पास होना जरूरी है तो जाहिर तौर पर 1 जनवरी से नया वित्त वर्ष शुरू होने की सूरत में बजट भी उससे पहले ही आएगा.


ऑप्टिमा मनी मैनेजर के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल का कहना है कि अगर वित्त वर्ष की तारीख में बदलाव होता है तो इससे आम आदमी की जिंदगी पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, सिर्फ टैक्स प्लानिंग, टैक्स फाइलिंग, कंपनियों के तिमाही नतीजों और शेयर बाजार के लिए वेस्टर्न स्टॉक मार्केट के जैसा पैटर्न और चलन दिखने की उम्मीद है. पहली दृष्टि से देखें तो इस बदलाव से परेशान होने की बिलकुल जरूरत नहीं है.



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