नई दिल्लीः इनकम टैक्स भरने के लिए सैलरीड क्लास को सबसे जरूरी होता है फॉर्म 16. फॉर्म 16 आपको अपने एंप्लॉयर से मिलता है और इस साल सीबीडीटी ने फॉर्म 16 को संशोधित कर दिया है. हालांकि फॉर्म 16 का अधिकांश भाग पहले की तरह समान है और (जिसमें पार्ट ए और पार्ट बी) शामिल हैं. लेकिन इस साल फॉर्म 16 में दी गई जानकारी ज्यादा विस्तृत है और पिछले सालों की तुलना में ज्यादा गहरी सूचनाएं दी गई हैं.


सीबीडीटी ने जो फॉर्म 16 के बारे में संशोधित जानकारी दी है उसके तहत आपको फॉर्म 16 के पार्ट ए और पार्ट बी दोनों को डाउनलोड करना होगा. फॉर्म 16 आपको अपने एंप्लॉयर से मिल जाएगा. नए नियमों के मुताबिक फॉर्म 16 के पार्ट ए और पार्ट बी दोनों ही एसेसी के लिए टैक्स रिटर्न भरते समय जरूरी हो चुके हैं.


यहां आपके लिए आपके लिए जानना जरूरी है कि आपके फॉर्म 16 में कौन-कौन से जानकारी होनी आवश्यक है


पैन
सबसे पहले आपको अपने फॉर्म 16 में पैन नंबर की जांच करनी चाहिए. अगर पैन गलत लिखा हो तो आपकी सैलरी से जो टीडीएस काटा गया है वो फॉर्म 26एएस में नहीं दिखाई देगा और आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय क्लेम क्रेडिट की मांग नहीं कर पाएंगे.


फॉर्म 26एएस आपकी टैक्स पासबुक है और इसमें आपके एंप्लॉयर द्वारा काटे गए और डाले गए सभी टैक्स की पूरी जानकारी इसमें होती है. बैंक और अन्य किसी एंटिटी द्वारा काटे गए टीडीएस का भी इसमें पूरा विवरण होता है. अगर आपका कोई एडवांस टैक्स काटा गया है तो वो भी फॉर्म 26एएस में दिखाई देगा.


फॉर्म 16 का पार्ट ए
अब आपको फॉर्म 16 का पार्ट A चेक करना चाहिए और इसमें सबसे पहले जांच करनी चाहिए कि इसमें आपके एंप्लॉयर ने जो टैक्स काटा है उसके बारे में सही प्रकार से दिया गया है या नहीं. पार्ट A में आपका नाम, पता, पैन नंबर दिया होता है और आपके एंप्लॉयर का भी टैन और पैन नंबर दिया होता है. इसके अलावा हरेक तिमाही में काटे गए टैक्स और सरकार को जमा किए गए किसी तरह के डिपॉजिट के बारे में सारी जानकारी पार्ट A में दी गई होती है.


पार्ट A में आपकी मासिक सैलरी में काटे गए टैक्स का भी विवरण होता है और इसकी जांच आप अपनी मासिक सैलरी स्लिप के जरिए कर सकते हैं. ये जरूरी है कि आपके फॉर्म 16 के पार्ट A में दिए गए टैक्स डिडक्शन आपके फॉर्म 26एएस में दिए गए डिटेल्स से मैच करते हों. अगर इनमें कोई मिसमैच हो तो आपको इसकी रिपोर्ट अपने एंप्लॉयर को करनी चाहिए. इसमें सुधार होने के बाद आपका एंप्लॉयर आपको संशोधित टीडीएस सैलरी सर्टिफिकेट देगा.


फॉर्म 16 का पार्ट बी
फॉर्म 16 के पार्ट बी में आपके एंप्लॉयर द्वारा आपको दी गई इनकम की सारी जानकारी होती है. फॉर्म 16 में दी गई जानकारी विस्तृत और गहरी होती है. इस साल से फॉर्म 16 में जो जानकारी दी गई हैं वो ठीक उसी फॉर्मेट में दी गई हैं जैसे आईटीआर 1 फॉर्म भरते वक्त आपको देनी होती हैं. लिहाजा आपको फॉर्म 16 में से सिर्फ डिटेल्स कॉपी करनी हैं और आईटीआर 1 फॉर्म में भरनी होती हैं. अगर आप ऑनलाइन अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो आपके आईटीआर फॉर्म 1 में सारी डिटेल्स पहले से भरी मिलेंगी, फिर भी आपको इनकी जांच कर लेनी चाहिए.


अगर आपने जॉब चेंज किया है तो जानें
अगर आपने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अपनी नौकरी बदली है तो फॉर्म 16 में आपको पहले वाले एंप्लॉयर द्वारा दी गई इनकम के बारे में भी कुछ डिटेल्स मिल जाएंगी. अगर आपके पास दो फॉर्म 16 हैं तो पहले वाले एंप्लॉयर की और मौजूदा एंप्लॉयर की दोनों जानकारी उसमें होनी चाहिए.


फॉर्म 16 आपके लिए बेहद जरूरी है और इसके बिना आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भर सकते हैं लेकिन इसके साथ ही आपको इसे समझना भी बेहद जरूरी हो जाता है. इस साल से फॉर्म 16 के सभी 2 भाग ट्रेसेज पोर्टल से डाउनलोड किए जा सकते हैं लिहाजा इस फॉर्म 16 पर ट्रेसेज का लोगो और यूनीक आईडी बना हुआ होता है. जबकि पहले ट्रेसेज के जरिए आपको फॉर्म 16 का एक भाग मिलता था और इसका दूसरा भाग आपको थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर से मिलता था.


लिहाजा आप अपना आईटीआर फाइल करते वक्त ये ध्यान रखें कि फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस में जो जानकारी दी गई हो वो एक समान हो. अगर इसमें कोई गलती हो या कोई मिसमैच हो तो आपको निश्चित तौर पर इसे अपने एंप्लॉयर से ठीक कराना चाहिए.


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