Indian Currency: भारतीय रुपये को मजबूत करने का सही समय अभी नहीं आया है. इंडिया को फिलहाल मिडिल इनकम देश बनने पर ज्यादा जोर देना चाहिए. तब तक भारत को ग्लोबल ट्रेड में रुपये के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयास करने चाहिए. भारतीय अर्थव्यवस्था अभी जिस स्टेज में है, वहां पर रुपये की मजबूती से कई सेक्टर पर बहुत नेगेटिव इम्पैक्ट हो सकता है. यह सलाह थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) ने दी है
महंगाई, आर्थिक वृद्धि दर और व्यापार पर दें सबसे ज्यादा ध्यान
थिंक टैंक के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतें बिलकुल अलग हैं. फिलहाल देश को महंगाई दर काबू में रखने, आर्थिक वृद्धि दर और व्यापार संतुलन को बनाए रखने पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए. यदि इन तीन मोर्चों पर स्थिरता का माहौल बना तो इंटरेनशनल इनवेस्टर और ट्रेडिंग पार्टनरों में भी भरोसा बढ़ेगा. केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) को भी मजबूत राजकोषीय और मौद्रिक नीतियां बनानी चाहिए. इसमें कर्ज प्रबंधन, उचित ब्याज दर नीतियां और विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिरता भी अहम रोल निभाएगी. रुपये की दुनियाभर में स्वीकार्यता बढ़ने से यह लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा.
राजनीतिक स्थिरता भी बेहद महत्वपूर्ण
थिंक टैंक के अनुसार भारत के लिए राजनीतिक स्थिरता भी बेहद जरूरी है. इससे निवेशकों में अच्छा संदेश जाता है. भारत में पैसा लगाने को तैयार बैठे लोग राजनीतिक स्थिरता को आर्थिक स्थिरता के प्रतीक के तौर पर देखते हैं. मजबूत मुद्रा किसी भी देश स्थिरता, भरोसे और आर्थिक ताकत का प्रतीक होती है.
अमरीकी डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा
अमरीकी डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा मानी जाती है. पूरी दुनिया में इसे आसानी से स्वीकारा जाता है. मगर भारत को अभी इंतजार करना चाहिए और अर्थव्यवस्था स्थिरता की स्थिति में आने के बाद ही रुपये को मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए. इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन में डॉलर का हिस्सा 60 फीसद, यूरो 20 फीसद, जापान के येन का लगभग 5 फीसद और पौंड लगभग 5 फीसद हिस्सा है. रुपया अभी इस लिस्ट में बहुत नीचे है.
रिजर्व बैंक सिस्टम को दुरुस्त करे
आरबीआई ने जुलाई, 2022 में अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देशों के साथ व्यापार में रुपये को बढ़ावा देने के लिए सिस्टम बनाया था. मगर, इसमें सुधार की बेहद सख्त जरूरत है. रूस और चीन के साथ किए जा रहे व्यापार में भी भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए.
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