बिटकॉइन इस साल की शुरुआत से ही चर्चा में है. पहले अमेरिका में बिटकॉइन ईटीएफ को मंजूरी, उसके बाद नए रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची कीमतों ने बिटकॉइन का लगातार सुर्खियों में बनाए रखा. अब बिटकॉइन फिर से चर्चा में है और इस बार की वजह भी बेहद दिलचस्प है.
दरअसल सेंट्रल अमेरिकन देश अल सल्वाडोर ने बीते कुछ सालों के दौरान अरबों की वैल्यू के बिटकॉइन की माइनिंग की है. मजेदार है कि इस छोटे से देश ने बिटकॉइन की माइनिंग करने में ज्वालामुखी की मदद ली है. जिस तरीके से बिटकॉइन की माइनिंग की गई है, वह इस पूरे प्रकरण को सबसे ज्यादा दिलचस्प बनाता है. अल सल्वाडोर के सरकारी खजाने को इससे काफी फायदा भी हुआ है.
इस देश में आधिकारिक मान्यता
अल सल्वाडोर दुनिया का इकलौता देश है, जहां बिटकॉइन को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है. अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नाइब बुकेले बिटकॉइन को पसंद करते हैं. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में ही बिटकॉइन को आधिकारिक मान्यता दे दी थी. इस साल से उनका दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया है. बुकेले की अल सल्वाडोर सरकार ने देश में बिटकॉइन की माइनिंग को बढ़ावा देने के उपायों पर भी काम किया है.
इतनी हो गई खजाने में वैल्यू
इसके लिए अल सल्वाडोर में अलग से बिटकॉइन ऑफिस नामक सरकारी विभाग ही बना दिया गया है. बिटकॉइन ऑफिस का कहना है कि माइनिंग में मिले नए बिटकॉइन के बाद देश के खजाने में अब 5,750 बिटकॉइन जमा हो गए हैं. साल 2021 से शुरू हुई माइनिंग में अब तक 474 नए बिटकॉइन खजाने में शामिल किए गए हैं. इस तरह खजाने में बिटकॉइन की कुल वैल्यू लगभग 354 मिलियन डॉलर के बराबर हो गई है.
क्या है बिटकॉइन माइनिंग?
दरअसल बिटकॉइन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में यूनिट के रूप में नए-नए ब्लॉक बनाए जाते हैं, जिनका अंतहीन चेन चलता है. इसी चेन के बढ़ते जाने से बिटकॉइन की नई यूनिट बनती है. इस पूरे प्रोसेस को बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है. इस काम के लिए हैवी कम्प्यूटिंग/प्रोसेसिंग कैपेसिटी की जरूरत पड़ती है, जिसमें भारी मात्रा में बिजली की खपत होती है.
इस तरह से ली गई ज्वालामुखी की मदद
अल सल्वाडोर की सरकार ने देश में बिटकॉइन की माइनिंग के लिए देश में 300 हैवी प्रोसेसर लगाए. इन प्रोसेसर को चलाने के लिए जो बिजली इस्तेमाल की जाती है, उसे एक्टिव वोल्कैनो Tecapa की ऊर्जा से तैयार किया जाता है. ज्वालामुखी से निकलने वाली जियोथर्मल एनर्जी का इस्तेमाल करने से बनाई गई बिजली का इस्तेमाल कर बिटकॉइन की माइनिंग करने से एक तरफ बिना प्रदूषण फैलाए ग्रीन एनर्जी यूज हुई, दूसरी ओर देश के खजाने में बेशकीमती नए बिटकॉइन जमा हुए.
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