Noida Ghost Town: हजारों घर खरीदारों के लिए उम्मीद की किरण, नोएडा के इस घोस्ट टाउन में शुरू हुआ काम
Jaypee Ghost Town: नोएडा के इस घोस्ट टाउन में हजारों घर खरीदारों के घर 10 साल से ज्यादा समय से अटके हुए हैं. प्रोजेक्ट के तहत 59 टावर के काम अटके हुए हैं...
नोएडा के घोस्ट टाउन के नाम से मशहूर हो चुके जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के घर खरीदारों को सालों बाद उम्मीद की किरण दिखाई दी है. जेपी इंफ्राटेक के प्रोजेक्ट में करीब 20 हजार घर खरीदारों की उम्मीदें अटकी हुई हैं. कंपनी के प्रोजेक्ट में 59 टावरों का काम कई सालों से बंद है. हालांकि अब काम शुरू होने से घर खरीदारों का 10 साल से ज्यादा का इंतजार समाप्त होने की उम्मीद मजबूत हुई है.
13 साल से भी पुराना है इंतजार
आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के लगभग 20 हजार घर खरीदार 13 साल से ज्यादा समय से घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं. बाद में जेपी इंफ्रा वित्तीय संकटों में फंस गई और उसके हाउसिंग प्रोजेक्ट के काम बंद हो गए. जेपी इंफ्रा नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी और निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में हजारों घर खरीदारों ने फ्लैट बुक किया हुआ है.
एनसीएलटी ने मार्च में दी मंजूरी
घर खरीदारों को इस साल मार्च में उस समय राहत मिली थी, जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड को खरीदने के लिए मुंबई के सुरक्षा ग्रुप की बोली को मंजूरी दी थी. सुरक्षा ग्रुप ने जेपी इंफ्रा को खरीदने के साथ ही नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी इंफ्रा के अटके प्रोजेक्ट में हाउसिंग यूनिट का काम पूरा करने के लिए भी बोली लगाई थी.
सुरक्षा ग्रुप का ऐसा है ऑफर
जेपी समूह की कंपनी जेपी इंफ्रा में सुरक्षा ग्रुप 250 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है. इसके अलावा अगले 4 साल में सारे अटके काम को पूरा करने के लए 3000 करोड़ रुपये का लोन भी सुरक्षा की बोली का हिस्सा है. एनसीएलटी की मंजूरी मिलने के बाद अब जेपी इंफ्रा के अटके प्रोजेक्ट पर काम में तेजी आने लगी है. इससे जेपी इंफ्रा के घर खरीदारों को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें अपने घर में रहने का अवसर मिलेगा.
इतने लोगों के अटके हैं सपने
आपको बता दें कि 18,767 एक्टिव घर खरीदारों ने मिलाकर 8,676 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. उनमें से करीब 413 घर खरीदारों ने अपनी बुकिंग कैंसिल कर दी और उनके 64 करोड़ रुपये के रिफंड अभी तक अटके हुए हैं. करीब 1,410 घर खरीदारों को 528 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी के पजेशन तो मिले हैं, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है.
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