Amul Ghee: अमूल इंडिया (Amul India) ने अपने घी के तिरुपति मंदिर में सप्लाई किए जाने को लेकर एक दिन पहले सफाई जारी की थी. कंपनी ने एक दिन पहले स्पष्ट किया था कि उन्होंने कभी भी अमूल घी (Amul Ghee) की सप्लाई तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) को नहीं की है. इसके बावजूद सोशल मीडिया पर ऐसे कई दावे किए जा रहे थे. कंपनी ने कहा था कि ये सब अफवाह हैं. इनमें कोई सच्चाई नहीं है. अब शनिवार को कंपनी ने कई सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.
एमडी जयेन मेहता ने कहा- 36 लाख लोग भी हो रहे प्रभावित
अमूल ब्रांड को चलाने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation) ने फिर से चेतावनी देते हुए कहा है कि उनका तिरुपति मंदिर की घी सप्लाई से कोई लेना-देना नहीं है. फेडरेशन के एमडी जयेन मेहता (Jayen Mehta) ने कहा कि हमारे साथ 36 लाख दुग्ध उत्पादक जुड़े हुए हैं. ऐसी अफवाहें फैलाने से उन पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा. पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के 7 यूजर्स के खिलाफ भ्रामक जानकारी फैलाने का केस दर्ज कर लिया है. पुलिस केस में कहा गया है कि इन 7 लोगों ने दावा किया था कि लड्डू प्रसाद में मिलाया जाने वाला घी अमूल ब्रांड का है. यह मिल्क फेडरेशन की साख को चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया है.
अमूल ने कभी नहीं भेजा तिरुपति मंदिर में घी
इससे पहले अमूल इंडिया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी भी तिरुपति मंदिर में घी नहीं भेजा है. हमारा घी कड़े परीक्षणों के बाद बनता है. इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं है. अमूल घी को बनाने के लिए हमारे पास आईएसओ सर्टिफाइड (ISO Certified) प्रोडक्शन प्लांट है. घी को बनाने में इस्तेमाल हो रहा दूध भी हमारे कलेक्शन सेंटर में आता है. यहां पर दूध का क्वालिटी टेस्ट भी परीक्षण होता है. हम FSSAI के सभी मानकों का पालन करते हुए अपने सारे प्रोडक्ट बनाते हैं. हमने पिछले 50 साल से अच्छे प्रोडक्ट देकर लोगों का भरोसा जीता है. हमारा अनुरोध है कि अमूल के बारे में किसी भी माध्यम से ऐसा दुष्प्रचार न करें.
मिलावटी घी के इस्तेमाल के आरोपों से खड़ा हुआ विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में कथित मिलावट पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल के दौरान हुई. हालांकि, जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. मंदिर मैनेजमेंट ने कहा था कि जांच में संकेत मिले हैं कि जानवरों की चर्बी और ताड़ के तेल आदि का इस्तेमाल घी में हुआ है.
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