अपने कपड़ा उद्योग के लिए फेमस तमिलनाडु का तिरुपुर इन दिनों संकटों से जूझ रहा है. यह संकट पैदा हुआ है हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के कारण. खबरों की मानें तो तिरुपुर कपड़ा उद्योग अभी श्रमिकों की कमी की समस्या का सामना कर रहा है.


चुनाव के चलते आया नया संकट


ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपुर के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले ज्यादातर कामगार हालिया चुनावों में वोट डालने के लिए अपन गांव गए. उसके बाद समस्या ये आई है कि वोट डालने अपने गांव गए मजदूर अब वापस नहीं लौट रहे हैं. इससे उद्योग जगत की परेशानियां बढ़ गई हैं. सबसे खराब बात ये है कि श्रमिकों की कमी का संकट ऐसे समय सामने आया है, जब डिमांड में सुधार के संकेत दिख रहे थे.


डिमांड सुधरने के मिलने लगे संकेत


तिरुपुर कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अमेरिका में डिमांड में सुधार हो रहा है और उसके चलते निर्यात के अच्छे ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. हालांकि अब श्रमिकों की कमी से दिक्कतें आ सकती हैं.


लगभग डेढ़ लाख श्रमिक करते हैं काम


ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपुर के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के हैं. छोटे-बड़े कपड़ा मिलों में एक लाख से डेढ़ लाख लोग काम करते हैं. वे मजबूर लोकसभा चुनाव के दौरान वोट देने के लिए गए, लेकिन अब लौटकर नहीं आना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि उनकी स्थानीय सरकारें विकास कार्य तेज करेंगी, जिससे उन्हें काम के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं होगी.


अब मिलेंगे पहले से ज्यादा पैसे


कामगारों की इस कमी के चलते तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने नया मुहिम शुरू करने की जानकारी दी है. यह मुहिम मेगा जॉब ड्राइव से संबंधित है. एसोसिएशन ने कामगारो की कमी को दूर करने के लिए मेगा जॉब ड्राइव चलाने के साथ-साथ पहले की तुलना में ज्यादा वेतन देने की भी योजना बनाई है. उसका कहना है कि अगर कामगार लौटते हैं तो उन्हें पहले से ज्यादा पैसे मिलेंगे.


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