नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को सीमित जवाबदेही भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी. इसका उद्देश्य कानून के तहत विभिन्न प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से अलग करना और देश में कारोबार को और आसान बनाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इसकी जानकारी दी. संशोधन के तहत जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, उसमें कानून के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने पर उसे आपराधिक कार्रवाई से बाहर रखना भी शामिल है.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहीं सीतारमण ने कहा कि "इस मंजूरी से अन्य बातों के अलावा अधिनियम में दंडात्मक प्रावधानों की संख्या घटकर 22 रह जाएगी. जबकि सुलह के जरिये मामलों को निपटाने वाले अपराधों (कंपाउंडेबल ऑफेन्स) की संख्या 7 रह जाएगी. इसके अलावा गंभीर अपराधों की संख्या तीन होगी और इन-हाउस एडजुडिकेशन व्यवस्था (आईएम) यानी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निर्णायक अधिक अधिकारी के आदेश के अनुसार तहत निपटाए जाने वाले चूक की संख्या केवल 12 रह जाएगी."
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "2.3 लाख एलएलपी फर्मों के बीच कानून का पालन करने वाले कॉरपोरेट्स के लिए व्यापार को आसान बनाने के लिए आपराधिकता को हटा दिया गया है. साथ ही सामान्य प्रवृत्ति के उल्लंघन के लिए जुर्माना तय किया गया है." इन-हाउस एडजुडिकेशन व्यवस्था के तहत मामले की सुनवाई करने वाले अधिकारी को जुर्माना लेकर मामले के निपटान का अधिकार होता है. एलएलपी कानून में 81 धाराएं और चार अनुसूची हैं.
सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए रिसर्जेंट इंडिया के प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गाड़िया ने कहा, "आर्थिक मुद्दों पर कैबिनेट के फैसलों का व्यापार करने में आसानी के संबंध में दूरगामी असर होगा और बैंक जमाकर्ता को लेकर ग्राहकों के बीच विश्वास बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. एलएलपी अधिनियम में संशोधन अब उल्लंघन के संबंध में आपराधिक एंगल को हटाने का प्रस्ताव करता है और अब बिना किसी आपराधिक कार्रवाई के जुर्माना के माध्यम से केवल आर्थिक दंड देना होगा. इससे मध्यम स्तर के उद्यमी को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों और विकास में सुविधा होगी . यह FERA से FEMA में स्विच करने के पहले के बड़े सुधार के समान एक महत्वपूर्ण निर्णय है."
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