नई दिल्लीः इन दिनों आयकर अदा करना बहुत आसान हो गया है. कुछ जरूरी दस्तावेजों के इकट्ठा पास रहने से इसमें और आसानी होती है. जैसे कि निवेश की रसीद, आय की रसीद, चुकाए गए आयकर की रसीद, फॉर्म 26 एएस, फॉर्म 16 इत्यादि के पहले से रहने से आयकर भरने में दिक्कत नहीं होती है.

इन चीजों को रखें दिमाग में
1. आयकर जमा करने का फॉर्म सात तरह का होता है. ऐसे में कर जमा करने वालों के लिए जरूरी है कि वह सही फॉर्म को भरें. जैसे आटीआर- 1 फॉर्म वैसे व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनकी सलाना आय 50 लाख रुपए से कम है. वहीं संयुक्त परिवार के सदस्यों को फॉर्म तीन भरना होता है. गलत फॉर्म भरने पर जमा किया गया आयकर डिफेक्टिव श्रेणी में चला जाता है और फिर 15 दिन के अंदर सही फॉर्म दुबारा भरना होता है.

2. आटीआर फॉर्म को जमा करने से पहले उसे अच्छे से क्रॉस चेक कर लेना चाहिए. फॉर्म में भरी गई जानकारियों को फॉर्म 16 से मिला लेना चाहिए. यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि दी गई किसी भी जानकारियों में भिन्नता पाए जाने पर आयकर विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता है.

3. आयकर जमा करते वक्त करदाताओं को फॉर्म 26 एएस से आइटीआर फॉर्म की जानकारियों को जरूर मिला लेना चाहिए. फॉर्म 26 एएस को परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) के जरिए देखा जा सकता है. आयकर विभाग की नजर में फॉर्म 26 एएस टैक्स चुकता करने का एक मात्र पुख्ता सबूत है. इसमें गलती पाए जाने पर आयकर विभाग की ओर से नोटिस आ सकता है.

इन बातों से बचें

आयकर भरते वक्त आय के तमाम स्रोत का खुलासा करें. आय के स्रोत को छुपाने पर आयकर की धारा 148 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. ऐसे नोटिस आमतौर पर तब जारी किए जाते हैं जब एसेसिंग ऑफिसर (एओ) की जांच में कर दाता के अन्य टेक्सेबल इनकम के बारे में पता चलता है.

आटीआर फॉर्म भरते वक्त सावधानी से ऐसी जानकारियों को भरें, जिससे टैक्स छूट प्राप्त की जा सकती है. फॉर्म में टैक्स छूट का दावा नहीं कर पाने की स्थिति में टैक्स छूट से हाथ धोना पड़ सकता है. धारा 24 और 80 इ के तहत होम और एजुकेशन लोन पर चुकाए जा रहे ब्याज और 80 सी के तहत करदाताओं को कुछ छूट मिलने का प्रावधान है.