Inflation Update: वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर जताई चिंता, उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है अल नीनो का खामियाजा
Economic Review: रिपोर्ट में चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि अल नीनो के साथ थोक मूल्य में कमी के बावजूद खुदरा कीमतों में कमी नहीं होने के चलते महंगाई दर ऊंची बनी रह सकती है.
![Inflation Update: वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर जताई चिंता, उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है अल नीनो का खामियाजा Tomato and pressure on prices of vegetables El Nino influence to make the situation worse for consumers says Finance ministry Inflation Update: वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर जताई चिंता, उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है अल नीनो का खामियाजा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/15/503720f455a568b5c7672f124a0511341684133809050685_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Inflation To Hit Households: टमाटर, मिर्त, जीरा, अदरक, अरहर दाल और उड़द दाल की महंगाई ने वैसे ही आम लोगों की जेब पर डाका डाल रखा है. तो टमाटर की महंगाई ने वित्त मंत्रालय की भी चिंता बढ़ा दी है. वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक डिविजन ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जो एनुअल इकोनॉमिक रिव्यू जारी किया है उसमें साफ लिखा है कि बेमौसम बारिश जैसे घरेलू कारणों के टमाटर जैसी कुछ सब्जियों की कीमतों पर दबाव बना रखा है.
वित्त मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में कहा है कि अल नीनो के असर के साथ थोक आधारित महंगाई में कमी के बाद भी खुदरा कीमतों पर इसका असर नहीं होने का खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है. खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक 6 जुलाई को टमाटर दिल्ली में 120 रुपये, गुरूग्राम में 140 रुपये, कोलकाता में 152 रुपये और पटना में 120 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है.
वित्त मंत्रालय ने अपने इस रिपोर्ट में कहा कि ग्लोबल सप्लाई चेन में सुधार, सरकार के नीतिगत फैसलों और आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की सख्ती के चलते 2022-23 वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई में कमी आई है. लेकिन बेमौसम बारिश के चलते टमाटर समेत कुछ सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
रिपोर्ट में चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि अल नीनो के चलते घरेलू फूड प्राइसेज पर असर, साथ ही थोक मूल्य में कमी के बावजूद खुदरा कीमतों में कमी नहीं होने के चलते महंगाई दर ऊंची बनी रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तनाव, ग्लोबल फाइनैंशियल सिस्टम्स में उठापटक, ग्लोबल स्टॉक मार्केट में गिरावट, अल नीनो के असर और ग्लोबल डिमांड के चलते कमजोर वैश्विक मांग का असर विकास की रफ्तार पर पड़ सकता है.
वहीं वित्त मंत्रालय ने मंथली इकोनॉनिक रिपोर्ट में कहा कि मजबूत चौथी तिमाही के चलते 2022-23 में आर्थिक विकास की रफ्तार 7.2 फीसदी रही है जो फरवरी 2023 के 7 फीसदी अनुमान से ज्यादा है.
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