Tomato High Prices Impact: देश में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही है जिस वजह से  एक महीने में शाकाहारी थाली 28 प्रतिशत महंगी हुई है. एक रेटिंग (साख निर्धारक) एजेंसी की इकाई ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमे अगस्त के लिए क्रिसिल की 'रोटी चावल दर' रिपोर्ट में कहा गया है कि कि मांसाहारी थाली पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा है और इसे तैयार करने की कीमत केवल 11 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन शाकाहारी थाली 28 फीसदी महंगी हो गई है.


शाकाहारी थाली तैयार करना 28 प्रतिशत महंगा


रिपोर्ट के मुताबिक टमाटर की बढ़ती कीमतों के कारण जून की तुलना में जुलाई में 'शाकाहारी थाली' तैयार करना 28 प्रतिशत महंगा हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि थालियों की महंगाई काफी हद तक टमाटर की कीमतों में 233 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण हुई है. टमाटर का दाम जुलाई में 110 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया, जबकि जून में यह 33 रुपये किलो था और अगस्त में 250 तक टमाटर के दाम पहुच गए है. इसमें कहा गया है कि थाली की कीमत के महंगा होने का यह लगातार तीसरा महीना है. वर्ष 2023-24 में यह पहली बार है जब कीमतें साल-दर-साल के नजरिये से भी महंगी हो गई हैं.


टमाटर की बढ़ती कीमतों ने थाली महंगी की


बढ़ती कीमतों ने थाली महंगी कर दी है जिसका असर एक आम आदमी और उसकी थाली पर हुआ है लेकिन एक बड़ा चैलेंज इस वक्त रेस्टोरेंट बिजनेस के लिए भी है. क्योंकि उनको पुराने दामो पर ही थाली परोसनी है और ज़्यादातर ग्रेवी में टमाटर का इस्तेमाल होता है जिस वजह से एक दिन का रॉ मटेरियल का खर्चा बड़ गया है और प्रॉफिट ना के बराबर ही हो रहा है. इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि ना सिर्फ टमाटर बल्कि बाकी सब्ज़िया भी बहुत महंगी हो गई है जैसे मासिक आधार पर प्याज और आलू की कीमतें क्रमशः 16 प्रतिशत और नौ प्रतिशत बढ़ीं, जिससे लागत में और वृद्धि हुई है. जून की तुलना में जुलाई में मिर्च की कीमतें 69 प्रतिशत बढ़ी, लेकिन चूंकि भोजन तैयार करने के लिए इसकी जरूरत थोड़ी कम रहती है, इसलिए थाली तैयार करने पर इसका प्रभाव सीमित है.


दिल्ली के रेस्टोरेंट सुराची के मैनेजर ने एबीपी न्यूज को बताई अपनी परेशानी


दिल्ली के फेमस रेस्टोरेंट सुराची के मैनेजर ने एबीपी न्यूज़ की टीम को अपने किचन का टूर कराया और बताया कि जितने तरह की डिश तैयार हो रही है किचन में उसमें ज़्यादातर में टमाटर का इस्तेमाल है और पहले एक दिन में 3 हज़ार का रॉ मटेरियल जैसे सब्ज़ी वगैरह आ जाती थी तो वही अब एक दिन में 8-9 हज़ार का सामान आ रहा है. इस वक्त थाली परोसना कस्टमर को मुशिकल होता जा रहा है. हमने प्राइस नहीं बढ़ाये लेकिन लागत बहुत ज़्यादा लग रही है. रेस्टोरेंट मैनेजर के हिसाब से अगर घर में टमाटर नहीं होगा तो बिना उसके सब्जी बन सकती है लेकिन रेस्टोरेंट टमाटर के बिना कुछ काम नहीं हो सकता इसलिए अगर टमाटर 300 रुपये किलो भी होता है तो उन्हें उसे खरीदना ही पड़ेगा और उसके इस्तेमाल जरूरी है. जिस वजह से चलेंगे इतना बढ़ जाता है के कभी-कभी नो प्रॉफिट नो लॉस या कभी-कभी अपना कुछ नुकसान उठाते भी कस्टमर को थाली परोसनी होती है. 


इसी रिपोर्ट के मुताबिक मांसाहारियों के लिए थाली की कीमत में कम मात्रा में बढ़ोतरी का कारण ब्रॉयलर चिकन की कीमत में तीन से पांच प्रतिशत की गिरावट से आना है, जिसका थाली की लागत में लगभग आधा हिस्सा होता है तो वही वनस्पति तेल की कीमत में मासिक आधार पर दो प्रतिशत की गिरावट आने से दोनों प्रकार की थालियों की लागत बढ़ने से कुछ राहत मिली है लेकिन टमाटर ने हाहाकार मचा रखा है. 


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