लोगों को रोजगार देने में अव्वल आईटी सेक्टर के हालात इन दिनों ठीक नहीं लग रहे हैं. दुनिया भर की दिग्गज टेक कंपनियों में छंटनी की मार पड़ने के बाद मुश्किल समय की गाज अब भारत में भी गिरने लगी है. ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि देश की टॉप आईटी कंपनियों ने वर्कफोर्स में हजारों की कमी की हो.


पहली बार हुई इतनी बड़ी कटौती


देश की तीनों बड़ी आईटी कंपनियों टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो ने हाल ही में मार्च तिमाही का वित्तीय परिणाम जारी किया है. तीनों शीर्ष आईटी कंपनियों के हालिया परिणाम के बाद पता चला है कि उन्होंने मिलकर 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष में अपने वर्कफोर्स में लगभग 64 हजार कर्मचारियों की कटौती की है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब टॉप आईटी कंपनियों में किसी एक वित्त वर्ष के दौरान वर्कफोर्स में इतने बड़े पैमाने पर कटौती की हो.


बड़ी कंपनियों के वर्कफोर्स में कटौती


आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी और देश की दूसरी सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी टीसीएस ने मार्च तिमाही के दौरान वर्कफोर्स में 1,759 कर्मचारियों को कम किया है, जबकि पूरे वित्त वर्ष में टीसीएस के कुल कर्मचारियों की संख्या में 13 हजार 249 की गिरावट आई है. इसी तरह इंफोसिस ने मार्च तिमाही में 5,423 और पूरे वित्त वर्ष में 25,994 कर्मचारियों की कटौती की है. विप्रो की तिमाही व पूरे वित्त वर्ष की कटौती क्रमश: 6,180 और 24,516 कर्मचारियों की रही है.


अब इतनी रह गई कर्मचारियों की संख्या


इस तरह हम आंकड़ों में देख सकते हैं कि 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 में तीनों बड़ी आईटी कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है. वित्त वर्ष के समाप्त होने के बाद अब टीसीएस के कुल कर्मचारियों की संख्या कम होकर 6 लाख 1 हजार 546 पर आ गई है. इसी तरह इंफोसिस में अब कुल 3 लाख 17 हजार 240 कर्मचारी रह गए हैं, जबकि विप्रो के कुल कर्मचारियों की संख्या भी कम हुई है.


आगे भी ठीक नहीं लग रहे हैं हालात


वर्कफोर्स में की गई कटौती के साथ यह बात और निराश करने वाली है कि चालू वित्त वर्ष के लिए परिदृश्य भी बेहतर नहीं दिख रहे हैं. पिछले वित्त वर्ष में भी आईटी कंपनियों को कमजोर डिमांड से जूझना पड़ा. आने वाले साल को लेकर भी कंपनियों का अनुमान ठीक नहीं है. इंफोसिस को लगता है कि 01 अप्रैल 2024 से शुरू होकर 31 मार्च 2025 तक चलने वाले मौजूदा वित्त वर्ष में उसके राजस्व में मामूली 1 से 3 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं विप्रो को जून तिमाही में राजस्व में 1.5 फीसदी की गिरावट आने की आशंका है.


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