अमेरिकी निवेश कंपनी टीपीजी जियो प्लेटफॉर्म में 4,546 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. इसकी पुष्टि हो चुकी है. इससे कंपनी को जियो प्लेटफॉर्म में 0.93 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी. एक और प्राइवेट इक्विटी फर्म एल केटरटन भी जियो प्लेटफॉर्म में 0.39 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदेगी.


टीपीजी के निवेश के साथ ही जियो प्लेटफॉर्म में बाहरी निवेशकों का निवेश बढ़ कर 1 लाख ढाई हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है. फेसबुक, सिल्वर लेक, विस्टा इक्विटी पार्टनर, जनरल अटलांटिक, केकेआर, मुबाडला, एडीआईए और टीपीजी अब तक इसमें पैसा लगा चुकी है.


एल केटरटन जियो प्लेटफॉर्म में खरीदेगी हिस्सेदारी


रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शनिवार को कहा कि प्राइवेट इक्विटी फर्म एल केटरटन जियो प्लेटफॉर्म में 0.39 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी. यह कंपनी 1750 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है.


रिलांयस इंडस्ट्रीज खुद को कर्ज मुक्त कंपनी बनाना चाहती है इसलिए वह जियो प्लेटफॉर्म हिस्सेदारी बेच कर पैसा जुटा रही है. रिलायंस पर 1.08 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी जियो प्लेटफॉर्म को अलीबाबा और गूगल के मुकाबले खड़ा करना चाहती है. दरअसल रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने तेल कारोबार से हासिल हो रहे कैश को अपने दूसरे बिजनेस के विस्तार में इस्तेमाल कर रही है. अपने टेलीकॉम बिजनेस को बढ़ाने में उसे इससे काफी मदद मिली. इसी तरह वह अब ई-रिटेलिंग के बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिलायंस जियो के लिए अब तक चार लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं.


रिलायंस को कर्ज मुक्त कंपनी बनाने का लक्ष्य


इस बीच मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बटे अनंत अंबानी को औपचारिक रूप से जियो प्लेटफॉर्म के प्रबंधन में शामिल किया गया है. उन्हें अतिरिक्त निदेशक बनाया गया है. रिलायंस इंडस्ट्री को रिटेल और डिजिटल प्लेटफॉर्म में आगे बढ़ाने का श्रेय मुकेश अंबानी की अगली पीढ़ी को जाता है. जियो की परिकल्पना और इसे आगे बढ़ाने में उनकी बेटी का बड़ा हाथ रहा है. रिलायंस अपने कैश का इस्तेमाल अपने बिजनेस के डायवर्सिफिकेशन में तेजी से कर रही है.