देश से चावल के निर्यात लगी रोक को हटाने की मांग अब तेज होने लगी है. चावल के व्यापारी अब सरकार से सफेद चावल और टूटे चावल के निर्यात से रोक हटाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अभी तक सरकार की ओर से निर्यात पर रोक हटाने के बारे में कोई संकेत नहीं मिला है.


एफसीआई के पास जमा हुआ इतना भंडार


ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चावल के व्यापारियों ने सफेद चावल और टूटे चावल के निर्यात से रोक हटाने की मांग अब तेज कर दी है. उनका कहना है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के पास चावल का पर्याप्त भंडार जमा हो चुका है. व्यापारियों के अनुसार, एफसीआई के पास अभी इतना चावल जमा हो चुका है, जो सुरक्षित भंडार के लिए आवश्यक सीमा से साढ़े तीन गुना है. ऐसे में अब निर्यात से रोक हटाई जानी चाहिए.


मंगलवार को हुई व्यापारियों की बैठक


रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल के व्यापारियों ने निर्यात पर लगी रोक को हटाने के लिए हाल ही में सरकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात हुई है. चावल व्यापारियों ने केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई बैठक में अपना पक्ष रखते हुए चावल के निर्यात पर से रोक हटाने का अनुरोध किया.


उसना चावल के निर्यात पर ये सुझाव


राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजीव कुमार के हवाले से ईटी ने बताया है कि व्यापारियों ने सफेद चावल और सुगंधित गैर-बासमती चावल के निर्यात से रोक हटाने की मांग की है. व्यापारियों ने यह भी अनुरोध किया है कि उसना चावल के निर्यात के मामले में सरकार निर्यात की वैल्यू पर 20 फीसदी ड्यूटी लगाने के बजाय मात्रा पर शुल्क लगाए, ताकि शिपमेंट को अंडरवैल्यू किए जाने से बचा जा सके.


चावल के निर्यात पर ये पाबंदियां लागू


आपको बता दें कि बीते दिनों चावल की कीमतें लगातार बढ़ने के बाद सरकार ने निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला किया था. पिछले साल से चावल की थोक महंगाई लगातार 10 फीसदी से ज्यादा बनी हुई थी. सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर अगस्त 2022 में रोक लगाई थी. उसके बाद जुलाई 2023 में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को रोक दिया गया था. वहीं अगस्त 2023 से उसना चावल पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी और बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात दर की पाबंदी लागू है.


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