Raksha Bandhan 2023: कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की सलाह पर देश भर के व्यापारी संगठनों से जुड़े व्यापारी, उनके कर्मचारी और परिवार के लोग कल 31 अगस्त को ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाएंगे. दरअसल रक्षाबंधन की आज सरकारी छुट्टी होने के बावजूद भी देश भर में सभी बाजार खुले और सामान्य रूप से कारोबार हो रहा है. इसका कारण है कि आज दिन भर भद्रा काल है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, लिहाजा राखी बांधने के लिए कल का दिन चुना गया है.
12 हजार करोड़ रुपये की राखियों की देश भर में बिक्री हुई
एक मोटे अनुमान के अनुसार इस बार लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की राखियों की देश भर में बिक्री हुई और सभी राखियां देश में ही बनी थी. खास बात ये रही कि चीन से इस साल भी न तो राखियां या राखियों का सामान आयात हुआ. जिसके चलते पिछले सालों के राखी बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूटे और लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का राखियों के व्यापार का आंकलन किया गया है. इसके साथ ही उपहार देने के लिए मिठाई, गिफ्ट आइटम्स, कपड़े एफएमसीजी के सामान वगेरह का कारोबार भी लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का आंका गया.
कोरोना के बाद पहला साल जिसमें बिना किसी डर के हुई खरीदारी
कैट के नेशनल प्रेसिडेंट बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना के बाद यह पहला साल है जिसमें बिना किसी बीमारी के डर से देश भर के बाजारों में ग्राहकों ने राखियों की खरीदारी जमकर की. इस बार के बिक्री आंकड़ों से साफ है कि लोग अब त्यौहारों को दोबारा से पूरे उल्लास और उमंग के साथ मना रहे हैं और विशेष रूप से भारत में बने सामान को ही खरीदने में रूचि रखते हैं.
देश के विभिन्न राज्यों की स्पेशल राखियां बिकीं
बी सी भरतिया और प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की इस साल अनेक प्रकार की राखियों के अलावा विशेष रूप से 'चंद्रयान राखी तथा जी 20 की वसुधैव कुटुंबकम' राखियां भी व्यापारियों ने बनाईं. इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों को लेकर भी अनेक प्रकार की राखियां बनाई गई जिनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कलकत्ता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, झारखण्ड में आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, वाराणसी में बनारसी कपड़ों की राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं.
ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन खरीदारी रही
साल 2018 में 3 हजार करोड़ रुपये के राखी व्यापार से शुरू होकर केवल 6 सालों में यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जिसमें से केवल 7 फीसदी व्यापार ही ऑनलाइन के जरिये हुआ है जबकि बाकी सारा व्यापार देश के सभी राज्यों के बाज़ारों में जा कर उपभोक्ताओं ने स्वयं ख़रीदा है. साल 2019 में यह व्यापार 3500 करोड़, साल 2020 में 5 हजार करोड़, 2021 में 6 हजार करोड़ और पिछले साल यह व्यापार 7 हजार करोड़ का आंका गया था.
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