TRAI: भारत में टेलीकॉम इंडस्ट्री (Telecom Industry) तेजी से आगे बढ़ रही है. भारत की 143 करोड़ की आबादी पर लगभग 118 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैं. देश में 5जी के बाद अब 6जी की तैयारी शुरू हो चुकी है. ऐसे में देश को नए मोबाइल नंबरों की जरूरत भी पड़ेगी. मगर, टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई (TRAI) इस समय एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है. उसे नए फोन नंबर लाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. टेलीकॉम डिपार्टमेंट (Department of Telecom) भी नए फोन नंबर्स को लेकर परेशान है. इस समस्या के समाधान के लिए ट्राई ने एक कंसल्टेशन पेपर रिवीजन ऑफ नेशनल नंबरिंग प्लान (Revision of National Numbering Plan) भी जारी किया है.
9, 8, 7 या 6 से शुरू होने वाले नंबर हो रहे इस्तेमाल
फिलहाल देश में 10 अंकों के मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए जा रहे हैं. ये 9, 8, 7 या 6 से शुरू होते हैं. इसके अलावा ट्रंक, इमरजेंसी , टोल-फ्री और मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन के लिए अलग तरीके के नंबर एवं शॉर्ट कोड की व्यवस्था है. नेशनल नंबरिंग प्लान, 2003 (National Numbering Plan) में अनुमान लगाया गया था कि 75 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन की डिमांड होगी. हालांकि, सितंबर, 2023 तक टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या 118.11 करोड़ हो चुकी थी. वित्त वर्ष 24 के अंत में मोबाइल कस्टमर्स की संख्या 119 करोड़ थी.
देश में मोबाइल नंबर्स की संख्या बढ़ाने की सख्त जरूरत
पिछले कुछ सालों में 5G, मशीन-टू-मशीन (M2M) कम्युनिकेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी नई सर्विसेज की बाढ़ आ गई है. इनके लिए नए नंबरों की जरूरत पड़ेगी आवश्यकता होती है. ट्राई के कंसल्टेशन पेपर के अनुसार, देश में मोबाइल नंबर्स की संख्या बढ़ाने की सख्त जरूरत पड़ेगी. मार्च, 2024 तक देश में टेलीफोन घनत्व 85.7 फीसदी हो चुका है.
टेलीकॉम कंपनियों के पास 254 करोड़ मोबाइल नंबर
ट्राई के आंकड़ों से पता चलता है कि टेलीकॉम कंपनियों के पास फिलहाल 254 करोड़ मोबाइल नंबर मौजूद हैं. मगर, अक्टूबर, 2023 तक ग्राहकों को 115 करोड़ नंबर बांटे जा चुके थे. ट्राई फोन नंबरों की जमाखोरी के लिए टेलीकॉम कंपनियों पर जुर्माना लगाने की प्लानिंग भी कर रहा है. अभी फिक्स्ड लाइन सर्विसेज के लिए इनएक्टिव कनेक्शन की कोई परिभाषा नहीं है. केवल नॉन एक्टिव मोबाइल सब्सक्राइबर्स का कनेक्शन ही काटा जा सकता है.
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