डेबिट कार्ड पर ट्रांजेक्शन फीस की ऊपरी सीमा 200 रु तय करने की तैयारी
सूचना तकनीक मंत्रालय ने देश में डिजिटल माध्यमों से लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक को सुझाव दिए हैं. इन्ही सुझावों में कहा गया है कि डेबिट कार्ड पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआऱ) यानी ट्रांजेक्शन फीस की ऊपरी सीमा तय की जाए और ये सीमा 200 रुपये हो सकती है. अ
नई दिल्लीः डेबिट कार्ड से लेनदेन पर ट्रांजेक्शन फीस ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये हो सकती है और रिजर्व बैंक को ट्रांजेक्शन फीस की नयी व्यवस्था का ऐलान करना है.
सूचना तकनीक मंत्रालय ने देश में डिजिटल माध्यमों से लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक को सुझाव दिए हैं. इन्ही सुझावों में कहा गया है कि डेबिट कार्ड पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआऱ) यानी ट्रांजेक्शन फीस की ऊपरी सीमा तय की जाए और ये सीमा 200 रुपये हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो कार्ड के जरिए बड़ी रकम का भुगतान करने में लोग हिचकेंगे नहीं और इससे डिजिटल भुगतान को तो बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही बड़े लेन-देन पर भी सरकार को नजर रखने में आसानी होगी. अभी डेबिट कार्ड के जरिए 1000 रुपये तक के लेन-देन पर ट्रांजेक्शन फीस ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी यानी ढ़ाई रुपये है, वहीं 1000 रुपये से दो हजार रुपये तक के बीच के लेन-देन पर ट्रांजेक्शन फीस की सीमा 0.5 फीसदी तय की गयी है. यानी इस सीमा में की गयी लेन-देन पर ट्रांजैक्शन फीस ज्यादा 10 रुपये होगी. दो हजार रुपये से ज्यादा के लेन-देन पर ट्रांजैक्शन फीस की ऊपरी सीमा 1 फीसदी हैऔर मतलब ये कि यदि 2500 रुपये का लेन-देन है तो उस पर ज्यादा से ज्यादा ट्रांजैक्शन फीस 25 रुपये हो सकता हैऔर ध्यान रहे कि क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजैक्शन फीस की कोई सीमा तय नहीं हैऔर कार्ड जारी करने वाले बैंक अपनी सुविधा के हिसाब से ये चार्ज लगा सकते हैं. बीते साल नोटबंदी के बाद 16 दिसम्बर को रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से लेन-देन के लिए फीस की व्यवस्था में बदलाव का ऐलान किया थाऔर बदलाव पहली जनवरी से 31 मार्च तक लागू करने की बात कही गयी, लेकिन बाद में इसे आगे बढ़ा दिया गया. रिजर्व बैंक ने फऱवरी में डेबिट कार्ड से लेन-देन के लिए फीस की नयी व्यवस्था का मसौदा फरवरी में जारी किया और लोगों से उसपर सुझाव मांगे. रिजर्व बैंक पहले ही साफ कर चुका है कि इन सुझावों पर विचार चल रहा है औऱ जब तक इन पर कोई फैसला नहीं होता तबतक दिसम्बर में ऐलान किए ट्रांजेक्शन फीस लागू रहेंगे. ट्रांजैक्शन फीस की प्रस्तावित व्यवस्था रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड पर चार्ज को लेकर फरवरी में जो मसौदा जारी किया था उसके मुताबिक, नयी दरों पर विचार-विमर्श के लिए लेन-देन की सीमा के बजाए कारोबारियों की आय को आधार बनाया गया है. यहां प्रस्ताव किया गया कि- 20 लाख रुपये के सालाना कारोबार करने के वाले व्यापारियों के लिए पॉस मशीन पर लेन-देन क लिए सर्विस चार्ज यानी एमडीआर की ज्यादा से ज्यादा दर 0.4 फीसदी होगी.
- दूसरे शब्दों में कहें तो यदि 1000 रुपये तक का लेन-देन हो तो ज्यादा से ज्यादा ये रकम 4 रुपये हो सकती हैऔर लेकिन यदि एक हजार से ज्यादा मसलन 2000 रुपये का लेन-देन हो तो ये रकम 8 रुपये होगी. इस तरह एक हजार रुपये से कम लेन-देन पर चार्ज बढ़ जाएगा, लेकिन एक हजार से ज्यादा पर कम.
- बहरहाल, यदि दुकान पर पॉस मशीन के बजाए क्यू आर कोड के जरिए लेन-देन किया गया हो तो वहां पर ज्यादा से ज्यादा चार्ज .0.3 फीसदी होगा यानी 1000 रुपये के लेन-देन पर 3 रुपया.
- चार्ज की यही दर बिजली, पानी आदि के भुगतान या फिर आर्मी कैंटीन या बीमा प्रीमियम वगैरह के भुगतान के लिए भी होगी
- 20 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वाले व्यापारियों के यहा लेन-देन पर एमडीआर की दर 0.95 फीसदी होगीऔर यानी एक हजार रुपये पर ज्यादा से ज्यादा साढे नौ रुपया का चार्ज.
- पासपोर्ट के लिए फीस, टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, रोड टैक्स या फिर हाउस टैक्स के भुगतान के लिए विशेष दरें तय की गयी है. 1000 रुपये तक के भुगतान पर ये दर 5 रुपये, 1000 से दो हजार रुपये के बीच के भुगतान के लिए 10 रुपये औऱ 2000 रुपये से ज्यादा के भुगतान के लिए ज्यादा से ज्यादा 250 रुपये का चार्ज लगेगा.
रिजर्व बैंक ने ये साफ किया कि इन चार्ज के अलावा व्यापारियों या सर्विस देने वालों को ग्राहकों से किसी भी तरह के कंनवियेंस फीस या फिर अतिरिक्त सर्विस चार्ज वसूलने का अधिकार नहीं होगा. रिजर्व बैंक को इसी मसौदे पर अंतिम फैसला लेना हैऔर
डेबिट कार्ड बनाम क्रेडिट कार्ड दरअसल, डेबिट कार्ड से किया गया लेन-देन सीधे आपके खाते से जुड़ा होता है. मतलब ये कि आपके खाते में जितनी रकम होगी, उतनी ही तक का कार्ड के जरिए खर्च कर पाएंगे. इसीलिए यहां पर ट्रांजैक्शन फीस को नियमित किया गया है. वहीं क्रेडिट कार्ड पर आपको आज खर्च करने और 45 दिनों के भीतर चुकाने की सुविधा मिलती है, इसीलिए उसपर ट्रांजैक्शन फीस की सीमा 2 से 2.5 फीसदी तक हो जाती है. वैसे गौर करने के बात ये है कि बड़े दुकानों, होटल, शो रुम, रिटेल आउटलेट वगैरह पर कार्ड से भुगतान करने पर आपको अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होता, क्योंकि वो अपने मार्जिन से उसका बोझ उठाने की स्थिति में होती है. चूंकि उनके लिए कैश हैंडलिंग पर होने वाला खर्च बच जाता है, इसीलिए वो इस बचत का फायदा आपको दे पाते हैं.