Used Car Market: भारत समेत पूरी दुनिया में पुरानी कारों (Old Cars) यानी सेकेंड हैंड कारों (Second Hand Cars) का बड़ा बाजार है. खासकर कोरोना महामारी के बाद पुरानी कारों (Used Cars) की डिमांड बढ़ी है. हालांकि आने वाले दिनों भारत में पुरानी कारों के बाजार को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इंडस्ट्री के जानकारों को इस बात का डर एक हालिया आधिकारिक नोटिफिकेशन के कारण सता रहा है.


दिसंबर में आया ये नोटिफिकेशन


सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways / MoRTH) ने पिछले साल 22 दिसंबर को एक नोटिफिकेशन जीएसआर 901(ई) (G.S.R 901E) को जारी किया था. मंत्रालय का कहना था कि इस बदलाव से डीलरों के मार्फत रजिस्टर्ड कारों की खरीद व बिक्री में पारदर्शिता आएगी तथा बिजनेस करना आसान होगा. नोटिफिकेशन लाने का उद्देश्य किसी वाहन को एक से ज्यादा बार ट्रांसफर करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करना था.


ये था नोटिफिकेशन का उद्देश्य


इसके अलावा थर्ड-पार्टी को होने वाले नुकसान की देनदारियों को तय करना और डिफॉल्टर तय करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करना भी इसका उद्देश्य था. नोटिफिकेशन में प्रस्तावित बदलाव 01 अप्रैल 2023 से प्रभावी होने जा रहे हैं. हालांकि इंडस्ट्री का कहना है कि नए बदलावों से प्री-ओन्ड व्हीकल्स यानी पुरानी कारों का कारोबार करने वाली कंपनियों के ऊपर नियमों के अनुपालन का बोझ बढ़ेगा. भारत में कार देखो (Car Dekho) और कार्स24 (Cars24) जैसी कंपनियां पुराने वाहनों की खरीद व बिक्री में संलिप्त हैं. इंडस्ट्री का ये भी कहना है कि जारी किए गए नोटिफिकेशन को लेकर व्याख्या करने के संबंध में भी दिक्कतें हैं.


इतना बड़ा है पुरानी कारों का बाजार


आंकड़ों की बातें करें तो भारत में कार देखो और कार्स24 जैसी बड़ी कंपनियों के अलावा भी पुरानी कारों का बड़ा बाजार है. देश भर में करीब 30 हजार डीलर पुरानी कारों की खरीद व बिक्री के कारोबार में लगे हुए हैं. विभिन्न अध्ययनों व अनुमानों के हिसाब से भारत में पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह साल 2026 तक 50 बिलियन डॉलर का हो सकता है.


ये है सबसे बड़ी दिक्कत


प्री-ओन्ड कार इंडस्ट्री के हिसाब से प्रस्तावित बदलावों की एक बड़ी खामी यह है कि इसमें एक डीलर के द्वारा दूसरे डीलर को पुरानी कार बेचे जाने के बारे में स्थितियां स्पष्ट नहीं की गई हैं. इसके चलते पुरानी कार को जो डीलर सबसे पहले खरीदेगा, वही डीम्ड ऑनर बना रहेगा, भले ही कार को किसी अन्य डीलर को बेचा जा चुका हो. इसका मतलब हुआ कि पुरानी कारों के उन लेन-देन पर असर होने वाला है, जो बिजनेस टु बिजनेस होंगे.