नई दिल्लीः डीजल के लगातार बढ़ते दाम ने ट्रांसपोर्टरों को परेशान करना शुरू कर दिया है. इस वजह से ट्रांसपोर्टरों के बीच माल ढुलाई भाड़ा बढ़ाने के मामले में सहमति बनती दिखने लगी है. अगर ट्रांसपोर्टरों ने भाड़ा बढ़ाया तो महंगाई पर दबाव और बढ़ सकता है. हाल के दिनों में फल, सब्जियां और राशन के कुछ आइटम माल ढुलाई की लागत बढ़ने से महंगे हो गए हैं.


ट्रांसपोर्टरों ने कहा है कि डीजल के दाम में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए वे किराया 20 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि मांग पहले से कम है. इसके अलावा लगभग 55 फीसदी ट्रक सड़कों पर नहीं उतर पा रहे हैं. इस वजह से बिजनेस चलाना मुश्किल हो गया है. एक के बाद एक लॉकडाउन ने ट्रांसपोर्ट कारोबार को भारी नुकसान पहुंचाया है.


ट्रांसपोर्टरों ने कहा, महंगा डीजल अब बर्दाश्त नहीं कर सकते


ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि देर-सबेर उन्हें माल ढुलाई भाड़ा बढ़ाना होगा. खर्च में बढ़ोतरी का बोझ अब ग्राहकों पर डालने के सिवा कोई चारा नहीं बच गया है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि डीजल के दाम बढ़ने से घाटा बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली में डीजल के दाम 81 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा हो गए हैं. तेल बेचने वाली कंपनियों ने 7 से 29 जून तक लगातार डीजल के दाम बढ़ाए हैं.


ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि मंदी की स्थिति को देखते हुए केंद्र को एक्साइज और राज्यों को डीजल पर वैट घटाना चाहिए. अगर डीजल के बढ़े दाम की वजह से माल ढुलाई के भाड़े में इजाफा हुआ तो मांग पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. डीजल और पेट्रोल के बढ़े दाम सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपायों को बेअसर कर सकते हैं. ट्रक ऑपरेटरों ने माल ढुलाई किराया बढ़ाया तो रोजमर्रा के सामान के दाम में खासा इजाफा हो सकता है.


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