GST को लेकर सात बड़ी अफवाहों की सच्चाई
नई दिल्ली: देश भर को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू हो चुका है. इसी के साथ तमाम तरह के किस्से भी सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं जिससे लोगों के बीच गलत-गलत धारणाएं बन रही है. इसी के मद्देनजर राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने ऐसे ही तमाम किस्सो की सच्चाई ट्विटर के जरिए देश के सामने रखी है. एक नजर ऐसे ही कुछ किस्सों और सच्चाई पर:
किस्सा - हर बिल कंप्यूटर के जरिए जारी करने होंगे ? सच्चाई – बिल हाथ से लिख कर भी जारी किए जा सकते हैं.
किस्सा – जीएसटी लागू करने के बाद कारोबार करते समय हर समय इटरनेट की जरुरत होगी ? सच्चाई – हर महीने रिटर्न दाखिल करते वक्त ही इंटरनेट की जरुरत होगी.
Seven myths of GST and Reality in one picture. pic.twitter.com/7haf5mYq6e
— Dr Hasmukh Adhia (@adhia03) July 2, 2017
किस्सा – मेरे पास प्रोविजनल आईडी है, लेकिन कारोबार शुरु करने के पहले फाइनल आईडी का इंतजार कर रहा हूं ? सच्चाई – प्रोविजनल आईडी ही जीएसटीएन नंबर होगी. आप कारोबार शुरु कर सकते हैं.
किस्सा – मेरे कारोबार को पहले छूट मिली हुई थी. कारोबार शुरू करने के पहले तुरंत नया रजिस्ट्रेशन कराना होगा ? सच्चाई – आप कारोबार जारी रख सकते हैं. 30 दिनो के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
किस्सा – हर महीने तीन रिटर्न दाखिल करने होंगे ? सच्चाई – एक ही रिटर्न है जिसके तीन हिस्से हैं. पहला हिस्सा डीलर को भरना होगा जबकि बाकी दो अपने आप कंप्यूटर जारी कर देगा.
किस्सा – यहां तक कि छोटे डीलर को भी हर बिल की जानकारी भरनी होगी ? सच्चाई – जो लोग खुदरा कारोबार (यानी, Business to Consumer or B2C) में हैं, उन्हे कुल बिक्री का सार देना होगा.
किस्सा – जीएसटी की दर वैट की पुरानी दरों से ज्यादा है ? सच्चाई – ये अहसास इसीलिए हो रहा है कि पहले एक्साइड ड्यूटी समेत कई टैक्स अदृश्य होते थे, अब ये सभी जीएसटी में मिला दिए गए हैं और उन सब की जानकारी सामने है.