High Inflation and Interest Rate: ब्याज दर हुई 42.5 फीसदी, महंगाई दर 62 फीसदी, इस देश की जनता हुई बर्बाद!
High Inflation and Interest Rate: भारत में सरकार महंगाई दर और ब्याज दर को कंट्रोल करने के लिए सरकार लगातार कदम उठाती रहती है. मगर, इस देश की जनता नाकाबिले बर्दाश्त परिस्थितियों में जा चुकी है.
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High Inflation and Interest Rate: भारत में महंगाई दर नवंबर में 5.5 फीसदी और अधिकतर बैंकों की ब्याज दरें 8 से 12 फीसदी के आसपास रही थीं. इसके बावजूद रिटेल में वस्तुओं की बढ़ती कीमतों एवं ब्याज दरों से लोग परेशान हैं. लोग महंगाई को लेकर हल्ला मचाते हैं. सोचिए अगर कहीं महंगाई दर 62 फीसदी हो जाए और ब्याज दरें 42 फीसदी से ऊपर निकल जाएं तो आप पर क्या गुजरेगी. कुछ ऐसा ही हो रहा है तुर्की में. वहां की जनता इस नाकाबिले बर्दाश्त स्थिति से होकर गुजर रही है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है.
महंगाई को कंट्रोल करने में नाकाम
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ी हुई है कि वहां के सेंट्रल बैंक ने इसे काबू में करने के लिए नीतिगत ब्याज दरें 2.5 फीसदी बढ़ा दी हैं. इसके साथ ही वहां ब्याज दरें 42.5 फीसदी पहुंच गई हैं. पिछले तीन महीने से हर महीने 5-5 फीसदी ब्याज दरें बढ़ाई गई थीं. तुर्किए सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई को कम करने के लिए नीतिगत दरों में लगातार 7वीं बार इजाफा किया है. तुर्की में महंगाई दर पिछले महीने 61.98 फीसदी के आसपास थीं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि मई तक यह 75 फीसदी तक पहुंच जाएगी. हालांकि, 2024 के अंत तक यह 35 फीसदी के आसपास आ सकती है.
न तो महंगाई दर कंट्रोल हो रही है, न ही ब्याज दरें
तुर्की की जनता इस असंभव सी महंगाई दर और ब्याज दरों को झेलने में असमर्थ है. जनता रोजमर्रा की जरूरतों की छोटी-मोटी चीजें तक नहीं खरीद पा रही है. लोग किराया तक नहीं भर पा रहे हैं. तुर्की का केंद्रीय बैंक महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ाता जा रहा है. मगर, इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा. न तो महंगाई दर कंट्रोल हो रही है, न ही ब्याज दरें. जनता गेंहू की तरह चक्की के दो पाटों में पिसती जा रही है. हालांकि, अब असहनीय स्थिति हो जाने के बाद सेंट्रल बैंक ने यह जरूर संकेत दिए हैं कि अब आगे ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी. मगर, विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल कोई राहत मिलने के आसार नहीं नजर आते.
विशेष टीम भी राहत दिलाने में हुई फेल
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने मई में चुनाव जीतने के बाद आर्थिक हालात को काबू में करने के लिए विशेष टीम बनाई थी. मेरिल लिंच के पूर्व बैंकर महमत सिम्सेक को वित्त मंत्री और एक अमरीकी बैंक के पूर्व अधिकारी हाफिज गाए एर्कान को केंद्रीय बैंक का गवर्नर बनाया गया था.
विदेशी निवेश हो रहा गायब
एर्दोआन का सोचना था कि ब्याज दरों को घटाकर महंगाई को काबू किया जा सकता है. मगर, पिछले गवर्नरों ने इसका विरोध किया. इससे नाराज राष्ट्रपति ने उन्हें निकाल दिया था. तुर्की की इकोनॉमी बहुत बुरे दौर से गुजर रही है. देश से विदेशी निवेश बाहर जा रहा है. साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेजी से कमी आई है.
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