Twitter Blue Tick: ब्लू टिक हटाकर एलन मस्क ने कर दी गलती? ट्विटर को डूबा सकता है ये फैसला!
Twitter Removes Blue Tick: एलन मस्क ने जब से ट्विटर को खरीदा है, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर उसके बाद लगातार प्रयोग हो रहे हैं. इसी कड़ी में अब ट्विटर ने वेरिफाइड अकाउंट्स से ब्लूटिक हटा दिया है...
सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर फिर से सुर्खियों में है. दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार एलन मस्क ने जब से इस सोशल मीडिया कंपनी को खरीदा है, तभी से कंपनी लगातार बदलावों से गुजर रही है. इस कड़ी में अब ट्विटर के वैसे अकाउंट्स से ब्लू टिक को हटा दिया गया है, जिन्होंने ट्विटर ब्लू का पेड सब्सक्रिप्शन नहीं लिया है. यह बदलाव अब प्रभावी हो चुका है और इसके चलते कई नामी-गिरामी लोगों के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हट गया है.
इस कारण हुआ बदलाव
ट्विटर अकाउंट्स से ब्लू टिक हटाए जाने के बाद इसके प्रभावों को लेकर बहस छिड़ी हुई है. एलन मस्क समेत कई लोगों का कहना है कि इससे ट्विटर प्लेटफॉर्म पर समानता को बढ़ावा मिलेगा. ट्विटर के इस कदम को मुनाफा कमाने के प्रयासों से भी जोड़ा जा रहा है. कंपनी लगातार घाटे में चल रही है और एलन मस्क अधिग्रहण के बाद इसे फायदे में लाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए बड़े पैमाने पर लोगों को काम से निकाला गया है. विज्ञापनदाताओं को जोड़ने के लिए कस्टमाइज ऑफर दिए जा रहे हैं. हालांकि ट्विटर के इस कदम से कई नुकसान भी होने वाले हैं. बीते 24 घंटे के दौरान एलन मस्क की नेटवर्थ करीब 13 बिलियन डॉलर कम हुई है और इसमें ब्लू टिक से जुड़े फैसले को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. आइए जानते हैं कि ट्विटर के लाखों अकाउंट्स से ब्लू टिक हटाने के क्या बुरे परिणाम हो सकते हैं...
भरोसे में आएगी गिरावट
एलन मस्क खुद भी कई मौकों पर दोहरा चुके हैं कि ट्विटर महज एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म न होकर रियलटाइम में खबरें जानने का माध्यम है. यह बात काफी हद तक सही भी है. दुनिया भर के मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी रपटें तैयार करने में ट्विटर पर मौजूद लोगों का हवाला देते आए हैं. अर्थजगत हो या राजनीति, खेल की दुनिया हो या नई टेक्नोलॉजी... हर फील्ड के जाने-माने लोग ट्विटर पर सक्रिय हैं और लगातार अपडेट देते रहते हैं. अब ब्लू टिक हटाए जाने से यह भ्रम पैदा होगा कि ट्वीट करने वाला व्यक्ति ऑथेंटिक है या नहीं. अभी तक वेरिफाइड ट्विटर अकाउंट्स पर भरोसा करना आसान था, लेकिन अब तो कोई भी पैसे देकर ब्लू टिक हासिल कर सकता है. ऐसे कई मामले भी सामने आए, जिनमें लोगों ने बड़ी कंपनियों या किसी लोकप्रिय हस्ती के नाम से हैंडल बनाकर उसपर ब्लूटिक ले लिया और कुछ ट्वीट कर दिया, जिसे लोगों ने ऑथेंटिक मान लिया.
ब्रांडों के लिए नकारात्मक
ट्विटर पर ब्लू टिक स्टेटस सिंबल हो चुका था. ऐसी धारणा थी कि ब्लू टिक वाले अकाउंट प्रभावशाली हैं. अब इसे हटा दिए जाने के बाद लोगों की धारणा बदलेगी. दूसरी ओर विभिन्न संगठनों समेत वैसे लोगों के सामने बड़ी दिक्कतें आने वाली हैं, जो पेड सब्सक्रिप्शन वाला ब्लू टिक नहीं लेंगे. ट्विटर पर उनकी वैधता प्रभावित होने वाली है, क्योंकि ब्लू टिक नहीं होने पर लोग उस खाते को असली नहीं मानेंगे. यह कई ब्रांडों के लिए नकारात्मक साबित होने वाला है.
मिट जाएगा असली-नकली का फर्क
इस कदम के बाद ट्विटर के वेरिफिकेशन प्रोसेस पर लोगों का भरोसा कम होगा. अब तक ऐसा मान लिया जाता था कि ब्लू टिक वाले ट्विटर अकाउंट वास्तव में उसी व्यक्ति या संगठन के हैं, जिनके नाम से उसे चलाया जा रहा है. इसके पीछे कारण भी हैं. अभी तक ट्विटर के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आसान नहीं थी. इसके लिए संबंधित अकाउंट वाले व्यक्ति या संगठन को अपनी पहचान के साथ यह भी साबित करना पड़ता था कि वे वास्तव में अपनी फील्ड में प्रभावशाली हैं. अब चूंकि ब्लू टिक के लिए एकमात्र अहर्ता पैसों का भुगतान है, ऐसे में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया बाकी रह नहीं जाती है. स्वाभाविक है कि अब लोगों के लिए असली और फर्जी अकाउंट में अंतर करना मुश्किल होने वाला है.
कम हो सकता है यूजर्स का इंगेजमेंट
ब्लू टिक हटाने वाले इस बदलाव का असर खुद ट्विटर पर भी होगा, क्योंकि यह सीधे-सीधे यूजर्स के भरोसे को प्रभावित करने वाला है. अभी ट्विटर पर यूजर्स का इंगेजमेंट बढ़ाने में ब्लू टिक का काफी अहम योगदान था. ब्लू टिक वाले अकाउंट से होने वाले ट्वीट पर यूजर्स ज्यादा सक्रिय रहते थे. अब वेरिफाइडअकाउंट्स से ब्लू टिक हटने और पेड सब्सक्रिप्शन के आधार पर ब्लू टिक दिए जाने से यूजर्स का इंगेजमेंट कम होने का खतरा है. अगर ऐसा होता है तो ट्विटर की कमाई पर बुरा असर पड़ सकता है.
ट्विटर की कमाई पर भी खतरा
ट्विटर हो या फेसबुक अथवा कोई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म... उनके लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया विज्ञापन है. विज्ञापन देने वाले प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की संख्या, यूजर्स का इंगेजमेंट, प्रभावशाली व्यक्तियों की उपस्थिति जैसे फैक्टर्स के आधार पर विज्ञापन देते हैं. अब इंगेजमेंट कम होने का खतरा है, साथ ही फेक अकाउंट्स की संख्या बढ़ने का भी खतरा है. इसके अलावा ब्लू टिक हटने से प्रभावशाली लोगों व संगठनों की पहचान करने का पैमाना चला गया है. ऐसे में कई विज्ञापनदाता ट्विटर से दूरी बना सकते हैं.
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