दुनिया की सबसे बड़ी राइड हेलिंग कंपनियों में एक उबर के सीईओ को लगता है कि भारत उनकी कंपनी के लिए सबसे मुश्किल बाजार है. उबर सीईओ दारा खोसरोशाही इसके लिए भारतीय ग्राहकों के व्यवहार को जिम्मेदार मानते हैं.


उबर के सामने आई ये सबसे बड़ी चुनौती


उबर सीईओ एक गुरुवार को बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन निलेकणि से बात कर रहे थे. इस दौरान खोसरोशाही ने भारतीय ग्राहकों की प्रवृत्ति के बारे में बातें की. उन्होंने कहा कि भारतीय ग्राहक कम से कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा सर्विस लेना चाहते हैं. कम खर्च में ज्यादा सर्विस पाने की भारतीय ग्राहकों की ये उम्मीद उबर के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई है.


बहुत डिमांडिंग हैं भारत के ग्राहक


उबर के सीईओ का मानना है कि अगर उनकी कंपनी भारत में सफल हो सकती है तो फिर कहीं भी सफल हो सकती है. भारत सबसे मुश्किल बाजारों में एक है. भारतीय ग्राहक बहुत डिमांडिंग हैं और वे किसी भी चीज के लिए भुगतान नहीं कर देते हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनकी कंपनी भारत में सफल हो जाती है तो फिर वह किसी भी बाजार में सफलता हासिल कर सकती है.


भारत के लिए उबर की रणनीति


भारतीय बाजार में सफल होने की रणनीति के बारे में दारा खोसरोशाही ने कहा कि उनकी कंपनी का मुख्य फोकस लो-कॉस्ट सर्विस सेगमेंट पर रहने वाला है. उन्होंने कहा कि भारतीय ग्राहकों की आदतों को ध्यान में रखते हुए उबर टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर सर्विसेज का विस्तार कर सकती है. उन्होंने भारत की डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह भारतीय बाजार की खासियत है.


उबर और ओएनडीसी के बीच समझौता


इस मौके पर उबर ने सरकारी ओएनडीसी के साथ एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया. ओपन नेटवर्क फोर डिजिटल कॉमर्स के साथ हुए इस समझौते के बारे में उबर इंडिया और साउथ एशिया के प्रेसीडेंट प्राभजीत सिंह ने कहा कि एमओयू डिजिटल कॉमर्स को आगे बढ़ाने के ओएनडीसी के विजन के अनुरूप है. हम ओएनडीसी के साथ मिलकर अपना पहला कदम उठाने के लिए तैयार हैं.


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