Loksabha Elections Results: 2024 के लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार बीजेपी को इन चुनावों में बहुमत नहीं दिला सके. ओपिनियन पोल से लेकर एग्जिट पोल के अनुमान इन चुनावों में गलत साबित हुए. मंगलवार 4 जून 2024 को जब वोटों की गिनती शुरू हुई और ये तस्वीर स्पष्ट हो गई कि बीजेपी अपने दम पर केंद्र में सरकार नहीं बना पाएगी और उसे सहयोगियों के बैसाखी की जरूरत होगी. इसके बात तो भारतीय शेयर बाजार में सुनामी आ गई. ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने चुनावी नतीजों पर अपने नोट में कहा, भारतीय शेयर बाजार इस चुनाव के नतीजों के लिए कतई तैयार नहीं था. यूबीएस ने कहा कि आने वाले दिनों में भारतीय बाजार अंडरपरफॉर्म करेगा.

  


मजबूत सरकार की दलील पर सवाल 


यूबीएस की अर्थशास्त्री तनवी गुप्ता जैन ने इस नोट को तैयार करते हुए लिखा कि चुनावी नतीजों ने निराश किया है. अब ये मैक्रो और मार्केट्स पर क्या प्रभाव डालेगा? उन्होंने अपने नोट में लिखा कि ये चुनावी नतीजे इस मार्केट वैल्यूएशन के लिए नहीं था. साधारण कॉरपोरेट आय के ग्रोथ और आउटलुक के बावजूद भारतीय बाजार का वैल्यूएशन काफी मंहगा हो चुका था. यूबीएस ने कहा कि इस महंगे वैल्यूएशन के लिए तर्क दिया जा रहा था कि देश में ऐसा मजबूत सरकार है जिसमें राजनीतिक स्थिरता के साथ पॉलिसी निश्चितता है. लेकिन इस बातों पर अब सवाल खड़े होंगे. यूबीएस ने कहा इमर्जिंग मार्केट में  वो भारत पर अंडरवेट (Underweight) है.   


लोकलुभावन एलानों का वापस आएगा दौर 


यूबीएस ने अपने नोट में लिखा कि भारत में जो चुनावी नतीजे सामने आया है ये ग्लोबल इंवेस्टर्स से मिले फीडबैक के काफी नजदीक है जो कि बेस केस में बीजेपी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार की संभावना लेकर चल रहे थे. जबकि स्थानीय इंवेस्टर्स नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की बहुमत वाली सरकार की उम्मीद पाले हुए थे. यूबीएस के मुताबिक राजनीतिक स्थिरता के चलते पॉलिसी एंजेंडा आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा. लेकिन तीसरे कार्यकाल में कम वाले आय लोगों के लिए लोकलुभावन एलानों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और सख्त सुधार वाले कदमों को ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है. 


बड़े वर्ग की नहीं बढ़ी खरीद क्षमता 


यूबीएस ने अपने नोट में कहा कि चुनावी नतीजे इनकम के मामले में सबसे निचले पायदान के अधीन आने वाले लोगों में कमजोर सेंटीमेंट की ओर इशारा कर रहा है. रिसर्च नोट के मुताबिक भारत की आर्थिक ग्रोथ में जोरदार तेजी बनी हुई है. पर घरेलू खपत का ग्रोथ कोरोना महामारी के बाद से कम बना हुआ है जबकि जीडीपी ग्रोथ में तेजी बनी हुई है. भारत में अफ्फलूएंट और प्रीमियम सेगमेंट में डिमांड में जोरदार तेजी है लेकिन महामारी के बाद से ही एंट्री लेवल और मास-मार्केट गुड्स (Mass-Market Goods) के डिमांड में कमजोरी बनी हुई है. ये बताता है कि सबसे कम आय वाले वर्ग पर महामारी पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और इन लोगों की आय अबतक नहीं बढ़ी है जिससे उनके खर्च करने की क्षमता में बढ़ोतरी आए.     


बड़े सुधार वाले कदम खटाई में? 


यूबीएस के मुताबिक इस चुनावी नतीजों के बाद निवेशकों का फोकस सरकार के गठन और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के चेहरे पर रहेगा क्योंकि बीजेपी का अपना बहुमत नहीं है. क्या मोदी पीएम होंगे या कोई और? ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए नीतियां, सुधार वाले कदम पर नजर रहेगी. इसके अलावा नई सरकार के पूर्ण बजट, श्रम कानूनों को लागू करने और लैंड और कैपिटल रिफॉर्म्स पर भी निवेशकों की नजर रहेगी. यूबीएस के मुताबिक सरकार की जो नीतियां रही है वो आगे भी जारी रहेगी. लेकिन लैंड रिफॉर्म्स (Land Reforms), विनिवेश (Disinvestment), कृषि कानून (Farm Laws), यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code), वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) जैसे रिफॉर्म्स को लागू करना अब संभव नहीं होगा.


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