UIDAI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा: बालिग होने पर आधार से इंकार नहीं कर सकते नाबालिग
जिन नाबालिगों का आधार कार्ड बन चुका है वे बालिग होने पर आधार योजना के दायरे से बाहर नहीं रह सकते.
नई दिल्लीः भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन नाबालिगों का आधार कार्ड बन चुका है वे बालिग होने पर आधार योजना के दायरे से बाहर नहीं रह सकते.
आधार योजना और इससे जुड़े 2016 के कानून का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं के सवालों पर यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने लिखित जवाब दिया था. इसी का जिक्र चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल कर रहे थे. उन्होंने कहा कि स्कूल के अधिकारी अभिभावकों की मंजूरी से पांच से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का आधार हेतु पंजीकरण में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई बालक 18 वर्ष का होने पर इस योजना से हट सकता है, शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि आधार कानून 2016 में इसकी अनुमति नहीं है.
निश्चिंत रहें, आधार वालों की ज्यादा जानकारी हमारे पास नहीं: यूआईडीएआई आधार संख्या जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई ने डाटा सुरक्षा को लेकर आम लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि उसके पास आधार-धारकों से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण( यूआईडीएआई) का कहना है कि वह आधार धारकों के बैंक खातों, स्वास्थ्य, वित्तीय या संपत्ति से जुड़ी कोई जानकारी नहीं रखता है और न ही रखेगा. उसके डेटाबेस में आधार वालों की ऐसी कोई जानकारी नहीं है.
प्राधिकरण ने एक सार्वजनिक सूचना में कहा है कि उसके पास आधार धारकों से जुड़ी थोड़ी सी जानकारी है जिसमें चुनिंदा जनसांख्यिकी सूचनाएं भी हैं. संस्था की ओर से यह आश्वासन उन आशंकाओं व अटकलों के बीच आया है जिनके अनुसार अपने डेटा बेस की सूचनाओं के आधार पर वह आधार वालों की हर गतिविधि पर निगाह रखे हुए है. प्राधिकरण ने कहा है,‘ निश्चिंत रहे, यूआईडीएआई के पास आपके बैंक खाते, शेयरों, म्युचुअल फंड, वित्तीय या संपत्ति, परिवार, जाति, धर्म व शिक्षा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है. न ही हमारे डेटाबेस में यह जानकारी कभी होगी.’
प्राधिकरण ने लगभग सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की है. इसमें उसने विभिन्न मुद्दों व आम जिज्ञासा और सवालों पर अपनी ओर से स्थिति स्पष्ट की है. इसमें प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि‘ आधार पहचान प्रदाता है न कि लोगों से जुड़ा ब्यौरा जुटाने का माध्यम.’
उल्लेखनीय है कि आधार कानून को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं की सुनवाई उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ कर रही है.
आधार के बदले वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल शुरू आधार संख्या जारी करने वाले प्राधिकरण यूआईडीएआई ने बहुप्रतीक्षित आभासी पहचान यानी वर्चुअल आईडी( वीआईडी) को प्रायोगिक स्तर पर शुरू कर दिया है. प्राधिकरण का कहना है कि विभिन्न सेवा प्रदाता जल्द ही आधार संख्या की जगह इस आईडी को स्वीकार करना शुरू कर देंगे.
इस व्यवस्था में आधार संख्या के धारक को अपनी एक वर्चुअल आईडी बनानी होगी. सत्यापन या अधिकरण के लिए जहां आधार संख्या बताने की जरूरत होगी वहां यह आईडी बताने से ही काम चल जाएगा. इससे उपयोक्ता की12 अंक की आधार संख्या का खुलासा दूसरे व्यक्ति या सेवा प्रदाता को नहीं होगा. एक तरह से यह वर्चुअल आईडी आधार संख्या के शुरुआती विकल्प के रूप में काम करेगी.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण( यूआईडीएआई) ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि शुरू में इस आईडी का उपयोग आधार में पते को ऑनलाइन अपडेट करने के लिए किया जा सकता है.
प्राधिकरण का कहना है, जल्द ही, सेवा प्रदाता आधार संख्या की जगह पर वीआईडी को स्वीकार करना शुरू करेंगे. फिलहाल, इसका इस्तेमाल आधार में पते को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है. प्राधिकरण ने उपयोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपनी वीआईडी बना लें. यूआईडीएआई ने यह कदम उपयोक्ताओं से जुड़ी जानकारी यानी डेटा की सुरक्षा को लेकर जारी चिंताओं के बीच उठाया है.