मुंबई का रियल एस्टेट यूं तो लगभग हर समय चर्चा में रहता है. करोड़ों की होने वाली डील अक्सर सुर्खियां बनती हैं और उन सौदों से सरकार को खूब कमाई भी होती है. हालांकि अभी देश की आर्थिक राजधानी का रियल एस्टेट अलग कारणों से चर्चा में है. यह मामला भी एक महंगी डील का है, लेकिन उसमें बहद मामूली स्टाम्प ड्यूटी चुकाया जाना लोगों को पच नहीं रहा है.
चर्चा में 100 करोड़ से बड़ा ये सौदा
संबंधित मामले में एक ऑफिस स्पेस की डील हुई है, जो मुंबई के फेमस बिजनेस डिस्ट्रिक्ट लोअर परेल में स्थित है. यह सौदा किया है ब्रिटेन के काउंसुलेट ने, जिसने मुंबई के लोबर परेल में 101 करोड़ रुपये में एक ऑफिस स्पेस को खरीदा है. इस सौदे में महज 100 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी चुकाई गई है, जबकि मुंबई में प्रचलित दर से ड्यूटी का हिसाब करोड़ों में होना चाहिए.
आम रेट से इतनी बनती देनदारी
मुंबई में स्टाम्प ड्यूटी की दर 6 फीसदी है. यानी इस हिसाब से कैलकुलेट करें तो 101 करोड़ रुपये के ऑफिस स्पेस के सौदे के लिए स्टाम्प ड्यूटी का हिसाब 6 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाता है, लेकिन सौदे में सिर्फ 100 रुपये का स्टाम्प ड्यूटी भुगतान किया गया. यही कारण है कि सौदा सुर्खियों में है और लोग उसके बारे में चर्चा कर रहे हैं.
इस कारण मिली भारी छूट
अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल उठ रहा हो तो हम आपको जवाब खोजने में मदद कर रहे हैं. दरअसल किसी देश के काउंसुलेट को राजनयिक सुविधाएं मिलती हैं. वियना कन्वेंशन के तहत मिलने वाली राजनयिक सुविधाओं में लोअर स्टाम्प ड्यूटी भी शामिल है. चूंकि ब्रिटिश काउंसुलेट वियना कन्वेंशन के तहत राजनयिक छूट प्राप्त एंटिटी है, इस कारण उसे सांकेतिक भुगतान करना पड़ा.
पिछले साल इतनी हुई कमाई
मुंबई के रियल एस्टेट सेक्टर की बात करें तो उसमें होने वाले सौदों से सरकारी खजाने को भरपूर कमाई होती है. 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 में मुंबई को स्टाम्प ड्यूटी से 50,400 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जो साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुई कमाई की तुलना में 13 फीसदी ज्यादा है. इस तरह रियल एस्टेट सेक्टर जीएसटी और सेल्स टैक्स के बाद सरकारी खजाने में कमाई का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत रहा था.
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