यूक्रेन संकट का भारत की आम पब्लिक पर होगा बड़ा असर, इस तरह बढ़ जाएगा आपकी रसोई का बजट, जानें वजह
ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों पर यूक्रेन के संकट का कोई असर नहीं आएगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध भारत के आम लोगों की जेब पर भी असर डाल सकता है, जानें कैसे.
रूस-यूक्रेन लड़ाई का भारत पर असरः यूक्रेन संकट (Ukraine conflict) के चलते भारत में आम आदमी की रसोई पर भी असर पड़ सकता है. ऐसा नहीं है कि ये संकट केवल यूक्रेन के लिए है, भारत पर भी इसका कुछ निगेटिव असर आ सकता है. आपको जानना चाहिए कि क्यों यू्क्रेन संकट लंबा खिंचने से भारत के लोगों पर भी नकारात्मक असर आ सकता है.
भारत में आम उपभोक्ता का रसोई बजट बढ़ने की आशंका
माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से देश में आम उपभोक्ता का रसोई का बजट बढ़ सकता है क्योंकि यूक्रेन से आने वाले सूरजमुखी के तेल के आयात पर असर देखा जाएगा. भारत यूक्रेन से बड़ी मात्रा में सूरजमुखी का तेल आयात करता है जिसकी सप्लाई पर असर आने की पूरी आशंका है. आंकड़ों में बात करें तो बीते साल यानी 2021 में अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत को आने वाला सूरजमुखी के बीज के आयात का 65 फीसदी यूक्रेन से आया था.
आंकड़ों में जानें तेल का खेल
अगर इस आंकड़े को भारतीय रुपये में देखें तो ये कुल 2 अरब डॉलर का बैठता है, यानी यूक्रेन पिछले साल के 9 महीने में ही भारत ने 2 अरब डॉलर के सूरजमुखी के बीज आयात किए. अगर ये सप्लाई रुक जाती है तो देश में सूरजमुखी के तेल की भारी कमी हो सकती है. इसका असर सूरजमुखी का तेल महंगा होने के रूप में देखा जाएगा. प्रोडेक्ट कैटेगरी की बात करें तो भारत के कुल आयात में यूक्रेन के वेजिटेबल फैट और तेल की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी के आसपास बैठती है.
देश क कई राज्यों में यूज होता है सूरजमुखी का तेल
सूरजमुखी का तेल या सनफ्लावर ऑयल भारत में कई राज्यों में खाने के तेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और अगर इसकी सप्लाई कम होती है तो लोगों को वैकल्पिक खाद्य तेलों की ओर रुख करना पड़ेगा. सूरजमुखी के तेल की कीमतें बढ़ने से मुख्य रूप से उत्तरी राज्य और पूर्वी राज्यों के लोगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यहां ये तेल प्रमुखता से यूज किया जाता है.
कच्चा तेल पहले ही महंगा, खाद्य तेल भी महंगा हुआ तो दिखेगी परेशानी
यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई से कच्चे तेल के दामों पर तो असर देखा ही जा रहा है, जिसका असर जल्द ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतो के बढ़ने के रूप में देखा जाएगा. वहीं अगर खाने का तेल भी महंगा हो गया तो देश में महंगाई उच्च स्तरों पर जा सकती है. इसका फाइनल असर तो देश की जनता को ही झेलना पड़ेगा लिहाजा यही बेहतर होगा कि यूक्रेन संकट जल्द से जल्द खत्म हो जाए.
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