Ukraine-Russia War: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कैसा होगा असर, जानें यहां विस्तार से
रूस-यूक्रेन युद्ध की बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं सिर उठा रही हैं क्योंकि इस युद्ध से भारत पर भी नकारात्मक असर आने की आशंका है. जानें किन वजहों से इंडियन इकोनॉमी के लिए ये युद्ध खतरनाक है.
Ukraine-Russia War: आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ. रूस ने आज यूक्रेन के ऊपर सैन्य हमला कर दिया और इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर ऐसा असर हुआ कि बाजार खुलते ही सेंसेक्स 1800 अंक गिर गया. निफ्टी में 500 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. इन सब के दौरान तीसरे विश्व युद्ध की आहट के बीच भारत के लिए भी चिंता के बादल मंडराने लगे हैं.
आज एशियाई बाजारों में भी जोरदार गिरावट
आज शुरुआती खबरों में साफ हुआ कि रूस ने यूक्रेन पर बैलिस्टिक मिसाइल के हमले सहित कई इलाकों पर बम दागे. यूक्रेन ने भी रूसी हमले का जवाब दिया है और दावा किया है कि उसने लुहान्स्क क्षेत्र में रूस के 5 विमानों और एक हेलीकॉप्टर को मार गिराया है. इन सब के बीच तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से ग्लोबल बाजार सहमे हुए हैं और आज सुबह से सभी एशियाई बाजार भी गिरावट के लाल निशान में ही कारोबार कर रहे हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर होगा बेहद बड़ा असर
भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस युद्ध का गहरा असर देखा जा सकता है क्योंकि अगर ये लड़ाई तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ी तो व्यापारिक गतिविधियों पर निगेटिव असर अवश्य आएगा. सबसे पहले कच्चे तेल के दाम जो पहले ही 101 डॉलर प्रति बैरल पर जा चुके हैं, उनमें और आग लग सकती है और भारत के लिए ऐसा होना बेहद नकारात्मक साबित होगा. देश का आयात खर्च बढ़ेगा जिसके चलते व्यापार घाटा भी और ऊपर जाएगा. फिलहाल तो कच्चे तेल के बढ़ते दामों का भार ऑयल एंड गैस मार्केटिंग कंपनियों ने ग्राहकों पर नहीं डाला है लेकिन इसका कारण आंतरिक है. माना जा रहा है कि 10 मार्च के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम में एकमुश्त बड़ी बढ़ोतरी की जाएगी.
देश में बढ़ेगी महंगाई !
तेल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर भी असर आएगा और इसके चलते खाने-पीने की चीजों जैसे सब्जियों-फल, दालें, तेल आदि सभी महंगे होने के आसार हैं. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से भारत में महंगाई बढ़ने के आसार नजर आने लगे हैं. अगर महंगाई बढ़ी तो रिजर्व बैंक के अनुमानित आंकड़ों से ये ऊपर चली जाएगी और फिर देश का केंद्रीय बैंक दरें बढ़ाने पर मजबूर हो जाएगा.
एक्सचेंज रेट पर आएगा असर
अगर रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहता है तो एक्सचेंज रेट पर भी असर आएगा क्योंकि रुपये की कीमतों में और गिरावट आ सकती है. एक्सचेंज रेट पर असर आने से भारत का कुल ट्रेड खर्च भी बढ़ेगा.
क्रूड होगा महंगा-देश पर निगेटिव असर
कमोडिटी जानकारों का मानना है कि ब्रेंट क्रूड के दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर आसानी से जाने के आसार हैं और इससे देश में इंपोर्ट होने वाला कच्चा तेल महंगे दामों पर आएगा जिसका पूरा असर देश में कई कीमतों के बढ़ने के रूप में देखा जाएगा.
मेटल्स होंगी महंगी तो देश में ऑटो सेक्टर पर आएगा असर
मेटल सेक्टर पर भी रूस-यूक्रेन की लड़ाई का असर देखा जाएगा और भारत में रूस से होने वाला मेटल एक्सपोर्ट अच्छी संख्या में है. अगर रूस पर और प्रतिबंध लगते हैं और इसमें मेटल इंपोर्ट पर बैन लगा तो भारत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है. इसके अलावा ऑटो सेक्टर की लागत बढ़ सकती है जिसका असर व्हीकल्स के दाम बढ़ने के रूप में देखा जा सकता है.
रूस से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के आंकड़ें जानें
रूस से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के आंकड़े देखें तो साल 2021 में भारत ने रूस को कुल 550 करोड़ डॉलर का एक्सपोर्ट किया है और 260 करोड़ डॉलर का इंपोर्ट रूस से आया है.
थर्मल कोल, क्रूड इंपोर्ट के आंकड़े समझें
साल 2021 में भारत का रूल को जाने वाला थर्मल कोल इंपोर्ट 1.6 फीसदी से घटकर 1.3 फीसदी पर आ गया था. अब इसमें और कमी आने की संभावना लग रही है. इसके अलावा भारत रूस से क्रूड ऑयल भी इंपोर्ट करता है, 2021 में भारत ने रूस से 43,000 BPD क्रूड इंपोर्ट किया है. भारत का रूस से होने वाला क्रूड इंपोर्ट कुल इंपोर्ट का केवल 1 फीसदी है.
रूस से गैस इंपोर्ट के आंकड़े
रूस से 0.20 फीसदी गैस इंपोर्ट भारत को होता है और हाल ही में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) का एलएनजी के लिए GazProm के साथ करार भी हुआ है. इसके तहत 20 सालों तक 25 लाख टन सालाना इंपोर्ट का करार हुआ है. रूस पर अमेरिका ने जो प्रतिबंध लगाए हैं उनमें तेल और गैस के एक्सपोर्ट पर रोक शामिल नहीं है और रूस ऑयल एंड गैस का एक्सपोर्ट करता रहेगा. ये कुछ राहत की बात है वर्ना भारत की ओएनजीसी जैसी कंपनी के तेल की विदेशी यूनिट्स सबसे ज्यादा रूस में ही हैं.
भारत का रूस-यूक्रेन विवाद पर क्या है रुख
भारत का रूस-यूक्रेन विवाद पर फिलहाल तटस्थ रुख है और भारत ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है. हालांकि ये साफ है कि भारत के ऊपर और देश की अर्थव्यवस्था पर इस लड़ाई का नकारात्मक असर तो देखा जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध भी हैं और जियो-पॉलिटिकल स्थिति बगड़ने की स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था के ऊपर कोरोनाकाल के बाद एक और प्रहार देखे जाने की आशंका है.
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